
अक्तूबर ०३, २००९ - मिसिसागा, हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने आज पोर्ट क्रेडिट सकेंडरी स्कूल के सभागार में अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी महोत्सव का आयोजन किया। इस अवसर पर चित्रकला, हस्तकला और पुस्तक प्रदर्शनियों का भी आयोजन किया गया था। चित्रकला प्रदर्शनी में चित्रों का चयन और उनका संकलन हिन्दी राइटर्स गिल्ड की सदस्या और क्रॉस करंट्स इंडो कैनेडियन इंटरनेशनल आर्ट्स की निदेशिका मीना चोपड़ा ने
किया। इस चित्रकला प्रदर्शनी में कैनेडा, 

हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने इस अवसर पर यू.एस.ए. के विश्वप्रसिद्ध कवि और हिन्दी कर्मी राकेश खण्डेलवाल, अनूप भार्गव और रजनी भार्गव को आमन्त्रित किया था। स्थानीय अतिथियों में डॉ. रूबी ढाल्ला (एम.पी), माननीय नवदीप बैंस (एम.पी) और डॉ. कुलदीप कुलार(एम.एल.ए) भी उपस्थित थे।
डॉ. रूबी ढाल्ला ने अपने संबोधन में हिन्दी राइटर्स गिल्ड को बधाई दी। उन्होंने उस दिन टोरोंटो स्टार के मुख पृष्ठ पर प्रकाशित समाचार की ओर ध्यान दिलाते स्थानीय लेखकों को चुनौती दी कि वह अपने लेखन द्वारा समाज में जागृति पैदा करें कि विदेश में रहते हुए भी जन्म से पहले ही माता पिता केवल बेटों की कामना न करें। माननीय नवदीप बैंस ने अपनी टिप्पणी में बताया कि उनके नाना जी का जन्म पाकिस्तान में हुआ, उनके पिता का राजस्थान में और वह कैनेडा में रहते हुए तीन भाषाओं से परिचित हैं। बहुभाषी होने की महत्ता को उन्होंने रेखांकित किया। डॉ. कुलदीप कुलार ने हैरानी प्रकट की कि अभी तक वह हिन्दी की गतिविधियों से परिचित नहीं हुए। शायद इसका कारण यह भी हो सकता है कि अभी तक के विभिन्न हिन्दी की संस्थाओं ने स्थानीय राजनितिज्ञों को आमन्त्रित ही नहीं किया।

कार्यक्रम का आरम्भ करते हुए डॉ. शैलजा सक्सेना ने उपस्थित श्रोताओं का स्वागत किया और मानोशी चटर्जी को सरस्वती वंदना के लिए आमन्त्रित किया। मानोशी के मधुर गायन के बाद विजय विक्रान्त ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड का परिचय दिया। आमन्त्रित कवियों का सम्मान उन्हें शाल ओढ़ाकर किया गया।
अगले चरण में हिन्दी राइटर्स गिल्ड द्वारा प्रकाशित पहली पुस्तक “निर्मल भाव“ का लोकार्पण किया गया। इस काव्य संकलन के लेखक हैं निर्मल सिद्धू। विमोचन करने के बाद सुमन कुमार घई ने पुस्तक के बारे में संक्षिप्त चर्चा की और निर्मल सिद्धू की कविताओं में आध्यात्मिक झुकाव, सामाजिक जागरुकता की ओर ध्यान दिलाया और निर्मल जी को एक कविता पढ़ने के लिए आमंत्रित किया। दूसरा लोकार्पण भी सुमन कुमार घई ने ही किया। बाल कविताओं की पुस्तक “आओ बच्चो हम तुम गाएँ“ की लेखिका भुवनेश्वरी पाण्डे हैं। अपने ढंग की बच्चों को रोचक ढंग से हिन्दी सिखाने वाली चित्रों के साथ रंगीन पुस्तक शायद उत्तरी अमेरिका में पहली होगी। इस कार्यक्रम के साथ ही पहले सत्र का पहला चरण पूरा हुआ। 
दूसरे चरण में शास्त्रीय संगीत का आयोजन था। प्रसिद्ध सितारवादक वक्कालंक्का जी ने राग भीम पलासी से शुरू किया और फिर तबले की द्रुत तीन ताल से होते हुए एक झाले की प्रस्तुति के बाद सितारवादन का अंत हुआ। चारू और मानोशी चटर्जी ने शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति की। अब शाम के पाँच बज चुके थे और खाने के लिए एक घंटे का अंतराल हुआ। स्वादिष्ट भोजन का आयोजन भी हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने ही किया था।
अगला सत्र कवि सम्मेलन, शाम के छह बजे शुरू हुआ और रात के ९:३० बजे तक चला। राकेश खण्डेलवाल के गीतों ने श्रोताओं का मन मोह लिया। अनूप भार्गव की प्रभावशाली छोटी छोटी कविताएँ भी बहुत सराही गईं। रजनी भागर्व की कविताओं का स्वागत करतल ध्वनि से हुआ। स्थानीय कवियों में थे भगवतशरण श्रीवास्तव, मीना चोपड़ा, सरन घई, आचार्य संदीप कुमार त्यागी, निर्मल सिद्धू, प्रीति धामने, विजय विक्रान्त, लता पाण्डे, डॉ. शैलजा सक्सेना, मानोशी चटर्जी, दीप्ति अचला कुमार, आशा बर्मन, सुमन कुमार घई, राकेश तिवारी , सुरेन्द्र पाठक, जसबीर कालरवि, सरोजिनी जौहर, कृष्णा वर्मा, भुवनेश्वरी पाण्डे, गोपाल बघेल, राज महेश्वरी, पाराशर गौड और इन्दु शर्मा। इस कार्यक्रम में २०० से अधिक श्रोता उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम के आयोजन बहुत से स्वयं सेवकों बढ़-चढ़कर भाग लिया। हिन्दी राइटर्स गिल्ड उन सबकी आभारी है। मीडिया में हिन्दी टाइम्स, अपना रेडियो बॉलीवुड बीट्स, स्टार बज़्ज़, सुपीरियर स्टार पत्रिका ने सहयोग दिया। मिसीसागा न्यूज, टी.वी. एशिया. ओमनी २ और एटीएन ने इसे कवरेज दी। आर्थिक रूप से बहुत से स्थानीय लोगों ने सहायता की। और मुख्य प्रायोजक बैल कैनेडा था। अंत में हिन्दी राइटर्स गिल्ड की ओर से सभी को धन्यवाद।













२१ फरवरी, २००९ – कार्यक्रम का अगला चरण कहानी कार्यशाला का था। भगवत शरण जी ने अपनी कविता “तुम्हारी छवि” का पाठ किया। पाराशर गौड़ ने अपनी कहानी अधूरे सपने की चर्चा करते हुए कहा कि कहानी आकाश से नहीं उतरती अपितु अपने आस-पास घट रहा है वही कहानी है। भुवनेश्वरी पांडे ने अपने बचपन में पढ़ी हुई कहानियों को याद किया। राकेश तिवारी जो कि हिन्दी टाइम्स साप्ताहिक समाचार पत्र के प्रकाशक व संपादक हैं ने कहा कहानी वस्तुतः स्थिति का बयान है। उन्होंने हाल में ही हुई घटना जिसमें मिसीसागा में तिरंगे का अपमान हुआ उसकी चर्चा करते हुए कहा कि कहानी तो उस दिन भी घटी है। आचार्य संदीप त्यागी ने कहा साहित्य शास्त्रियों का कहना है कि कविता की कसौटी गद्य होता है। कहानी में कहानी के उद्देश्य की पूर्ति होना आवश्यक है। उन्होंने प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद की कहानियों को अपनी प्रिय कहानियाँ बताया। उन्होंने उदाहरण स्वरूप अपनी कविता “जवां भिखारिन” का पाठ करते हुए कविता के मूल में कहानी का होना प्रमाणित किया। डॉ. शैलजा सक्सेना ने कहानी की चर्चा करते हुए निर्मल सिद्धू की कहानी “अस्थि कलश” की विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने हिन्दी राइटर्स गिल्ड के ई-सदस्य अमरेन्द्र कुमार के ब्लॉग पर कहानी पर लिखे हुए आलेख की भी चर्चा की और उपस्थित सदस्यों को प्रोत्साहित किया कि वह अमरेन्द्र के ब्लॉग पर जाकर अमरेन्द्र का कहानी के विषय में लिखा आलेख अवश्य पढ़ें। राज महेश्वरी ने कहा “कहानी वही अच्छी होती है जो अच्छी लगती है।“ उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक मानव कहानी लिख सकता है और उन्होंने हँसते हुए बताया कि उनकी नातिन की कहानी सारा-सारा दिन ख़त्म ही नहीं होती। आशा बर्मन कहा कि कहानियों से हमारा परिचय तो बचपन से ही आरम्भ हो जाता है। उन्होंने प्रेमचंद की कहानियों में पात्र के अनुसार भाषा की विविधता की प्रशंसा की। उन्होंने आगे बचपन का संस्मरण सुनाते हुए बताया कि कैसे उनके दादा जी को भी प्रेमचंद की कहानियाँ सुनना बहुत अच्छा लगता है। कहानी लिखने के विषय में बोलते हुए उन्होंने बताया कि बचपन में जब घर-मोहल्ले के बच्चे जब उनके पिता जी को घेर कर कहानी सुनाने का आग्रह करते थे तो पिता जी कहानी शुरू तो करते थे पर उस कहानी के हर चरण को बच्चों द्वारा ही आगे बढ़वाते हुए एक सार्थक अंत करते थे। उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपने जीवन के अनुभवों के विषय में ही लिखना चाहिए। निर्मल सिद्धू ने अपनी कहानी की समीक्षा के लिए डॉ. शैलजा सक्सेना का धन्यवाद किया और उन्होंने कहा कि कहानी केवल किसी समस्या की चर्चा ही नहीं करे बल्कि उसका समाधान भी सुझाए। उन्होंने अपने विद्यार्थी काल में पढ़े चंद्रधर शर्मा गुलेरी को अपना प्रिय लेखक बताया। सरन घई ने अपनी नई पत्रिका के प्रकाशन की घोषणा की और एक लघुकथा सुनाते हुए कहा कि इस कहानी में पात्रों का परिचय नहीं देने की आवश्यकता नहीं बल्कि हर पात्र का परिचय स्वतः होता चला जाता ही। कार्यशाला का अन्त सुमन कुमार घई ने किया।

