Tuesday, December 7, 2010

हिन्दी राइटर्स गिल्ड का मासिक कार्यक्रम "आइए हिन्दी साहित्य की बात करें"

०५ दिसम्बर, २०१० - हिन्दी राइटर्स गिल्ड का मासिक कार्यक्रम "आइए हिन्दी साहित्य की बात करें" ५ दिसंबर को ब्रैम्पटन लाईब्रेरी की चिंग्कुज़ी शाखा, १५० सेंट्रल पार्क ड्राईव में हुआ। कार्यक्रम में अगले वर्ष के कार्यक्रमों की चर्चा हुई। हिन्दी राइटर्स गिल्ड के विकास को देखते हुए भविष्य में संस्था की रूप रेखा पर भी विचार-विमर्श हुआ।
अगले वर्ष के कार्यक्रमों की संभावित रूप रेखा के बारे में बातचीत हुई। वर्ष के पहले तीन कार्यक्रमों को आयोजित करने का दायित्व तीन सदस्यों को दे दिया गया है जो इन कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने के लिए अपने साथियों का चयन करेंगे। इन कार्यक्रमों के संचालक सदस्यों को जैसी भी सहायता की आवश्यकता होगी वह सभी सदस्य देंगे। जनवरी का कार्यक्रम लोहड़ी, मकर संक्रांति और नव वर्ष पर आधारित होगा। फरवरी का कार्यक्रम वसन्त पंचमी के उत्सव के उपलक्ष्य में होगा और मार्च का होली त्योहार तो हर वर्ष हिन्दी राइटर्स गिल्ड मनाती ही रही है। जैसे जैसे यह कार्यक्रम विकसित होंगे, सभी साहित्य प्रेमियों को सूचित कर दिया जाएगा।
कार्यक्रम के दूसरे भाग में कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसका संचालन इस बार श्रीमती लता पाण्डे ने किया। इस बार निर्णय लिया गया था और इसे परम्परा की तरह अपना भी लिया जाएगा कि कवि गोष्ठियों में सभी रचनाओं की सकारात्मक समीक्षा तुरन्त रचना के बाद की जाए। सभी कवियों व कवयित्रियों ने इसे सहर्ष स्वीकार किया और इसका स्वागत किया।
सबसे पहली कवयित्री श्रीमती भुवनेश्वरी पांडे थीं। उनकी रचना "आज के अमानुष" आधुनिक जीवन शैली और उसकी प्रतिक्रिया से विकसित होते नए व्यक्तित्व पर पैनी टिप्पणी थी। अगली कविता श्रीमती कृष्णा वर्मा की "चिंता" थी। भाषा सरल थी और भावाभिव्यक्ति हास्य-व्यंग्य को छूती हुई थी। श्रोताओं ने विषय की गंभीरता को भी समझा और कविता बहुत सराही गई। श्री सरन घई अगले कवि थे, उन्होंने अपनी एक पुरानी कविता जो हास्य रस की थी – परदेसवासी पिया को पाती सुनाई। श्रीमती सविता अग्रवाल की कविता सौंदर्य रस की – "कौन हो तुम" थी। प्रेमिका का प्रश्न मन को छूने वाला और कोमल भावों से ओत प्रोत था परन्तु जीवन दर्शन की गम्भीरता भावों में छाई रही। डॉ. शैलजा सक्सेना की कविता "भूमिका" दैनिक जीवन के संघर्ष की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए विभिन्न भूमिकाओं को निभाने की बात कर रही थी। शैलजा जी की कविताएँ सदा ही मन को झकझोरते हुए सोचने पर बाध्य करती हैं। श्री प्राण किरतानी की कविता "परिंदे की कहानी" मानवीय जीवन संवेदनाओं का जीवन्त चित्रण था। अगले कवि श्री विजय विक्रान्त जी ने क्षमा याचना की कि वह आज कविता सुना नहीं पाएँगे क्योंकि वह कोई तैयारी के साथ नहीं आए थे। सुमन कुमार घई की कविता "दरार" भी मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति थी और छोटी होते हुए भी प्रभावशाली थी। आचार्य संदीप त्यागी "दीप" ने अपनी कविता सुनाने से पहले अपने काव्य गुरु डॉ. सत्यव्रत शर्मा ’अजेय’ की रचना रावण –प्रतिनारायण का एक अंश सुनाया। जिसे सुनने के बाद रावण के पात्र की जो व्याख्या कविता में की गई थी, उससे उठे प्रश्नों से एक चर्चा आरम्भ हो गई। कविता में रावण के व्यक्तित्व के उस पक्ष को स्पष्ट किया गया है जिससे जन साधारण परिचित नहीं हैं। पंद्रह-बीस मिनट तक चर्चा के चलने के बाद संदीप जी से निवेदन किया गया कि आने वाले कार्यक्रमों में एक बार वह इसी विषय पर विस्तार से अपना एक शोध पत्र पढ़ें। संदीप जी की कविता "आएगी वह ज़रूर आएगी" जीवन के विषय पर ही थी। डॉ. रत्नाकर नराले जो आज आमन्त्रित अतिथि कवि थे ने राग भैरवी में एक भजन सुनाया। भजन में भगवान से प्रश्न किया गया था - प्रभु बतायो दुखी दुनिया का खेला क्यों रचाया। अंत में लता पाण्डे जी की कविता बिहार की राजनीति में आते आशावादी परिवर्तन पर आधारित थी, कविता का शीर्षक था "भोर में"। लता जी की कविता भी हमेशा गागर में सागर के भाव भर कर लाती है और यह कविता भी अलग नहीं थी।
कुछ साहित्य प्रेमी भी वहाँ उपस्थित थे। जैसे कि श्री अटल पाण्डे, श्री सुरेश पाण्डे और उनकी धर्म पत्नी, श्रीमती नरगिस फैज़ल। श्री संजीव अग्रवाल ने एक काव्यमय चुटकला सुनाकर वातावरण को हास्यमय कर दिया।
कार्यक्रम में वास्तविक कवि गोष्ठी का मैत्रीपूर्ण वातावरण और अनौपचारिकता छायी रही। सर्दी होने के कारण चाय के प्याले खाली होते रहे। आज की कवि गोष्ठी का अल्पाहार डॉ. शैलजा सक्सेना के सौजन्य से था, जिसका आनन्द सभी ने भरपूर उठाया।
हिन्दी राइटर्स गिल्ड कैनेडा की अग्रणी साहित्यिक संस्था है जिसका उद्देश्य आप्रवासी प्ररिप्रेक्ष्य में स्थानीय साहित्य लेखन को बढ़ावा देना है। समय समय पर सेमिनार, साहित्य लेखन कार्याशालाएँ, विद्वानों के भाषण और उच्च स्तरीय सम्मेलन भी हिन्दी राइटर्स गिल्ड द्वारा आयोजित किए जाते हैं। अक्तूबर के माह में हिन्दी राइटर्स गिल्ड द्वारा आयोजित वार्षिक सम्मेलन "दैनिक जीवन में साहित्य" बहुत सफल रहा। हिन्दी राइटर्स गिल्ड का मासिक कार्यक्रम "आइए, हिन्दी साहित्य की बात करें" ब्रैम्पटन लाइब्रेरी के साथा साझेदारी में आयोजित किया जाता है और यह कार्यक्रम सार्वजनिक है यानि सभी इसमें आमन्त्रित हैं। अधिक जानकारी के लिए फोन करें : सुमन कुमार घई 416 286 3249 या 416 917 7045 या ई-मेल करें : hindiwg@gmail.com