Saturday, December 13, 2008

हिन्दी राइटर्स गिल्ड द्वारा टोरांटो में आयोजित कवि-गोष्ठी को सुनें


२७ सितम्बर, २००८ – ओकविल (ओण्टेरियो, कैनेडा) की ग्लैन ऐबे लाइब्रेरी के सभागार में हिन्दी राइटर्स गिल्ड की पहली कार्यशाला और काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी के प्रायोजक (Sponser) पाराशर गौड़ थे। दोपहर के १.३० बजे के लगभग सभी साहित्यप्रेमी आ चुके थे किन्तु पाराशर गौड़ ट्रैफिक में उलझ गए तो कार्यक्रम कुछ देर उनकी प्रतीक्षा करने के बाद विजय विक्रान्त जी कार्यक्रम आरम्भ किया। सुमन घई ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड के भविष्य के कार्यक्रमों की सूचना दी। इतने में पाराशर जी पहुँच चुके थे। उन्होंने सरस्वती-दीप प्रज्ज्वलित किया और सभी उपस्थितजनों का स्वागत किया। इस कार्यक्रम और कार्यशाला की सूत्रधार डॉ. शैलजा सक्सेना थीं। उन्होंने इस काव्य-कार्यशाला का आरम्भ करते हुए स्थानीय साहित्यिक गतिविधियों की चर्चा की और “एक अच्छी कविता क्या है?” का प्रश्न उपस्थित रचनाकारों के सामने रखा। इस कार्यशाला का एक अंग यह भी था कि काव्य पाठ करने पहले कवि या कवयित्री इस प्रश्न का उत्तर दें। डॉ. शैलजा सक्सेना ने अपना प्रथम वक्तव्य समाप्त करते हुए आशा बर्मन को वन्दना गायन के लिए आमन्त्रित किया। आशा जी ने सोम ठाकुर द्वारा रचित “भाषा वन्दना” अपने मधुर स्वर में गाई।

जैसा कि ऊपर कहा गया है इस कार्यक्रम में सभी कवियों से कहा गया था कि वह अपनी कविता पाठ से पहले कुछ शब्दों में बताएँ कि वह कविता क्यों लिखते हैं और उनके अनुसार कविता की परिभाषा क्या है। शैलजा जी ने हर कवि की परिभाषा और कविता के भाव को बहुत कुशलता के साथ काव्य-शास्त्रियों की परिभाषाओं से जोड़ा। इस काव्य-गोष्ठी और कार्यशाला में भाग लेने वाले कवियों के नाम इस प्रकार हैं –

आशा बर्मन, सरण घई, संदीप त्यागी, राकेश तिवारी, मानोशी चटर्जी, सविता अग्रवाल, ऋतु बहादुर, जसबीर ’कालरवि’, लता पाण्डे, भगवतशरण श्रीवास्तव, प्रीति धामने, सुमन कुमार घई, विजय विक्रान्त, उमा दत्त दूबे, पाराशर गौड़ और डॉ. शैलजा सक्सेना।

कार्यक्रम लगभग साँय के ४.३० तक चला। इस काव्य-गोष्ठी की रचनाएँ सभी उत्तम कोटि की थीं। यह रचनाएँ और डॉ. शैलजा सक्सेना की “कविता की परिभाषा : काव्य-शास्त्रियों के शब्दों में” पाठक हिन्दी राइटर्स गिल्ड के ब्लॉग पर सुन सकते हैं।

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हिन्दी राइटर्स गिल्ड का उद्‌घाटन समारोह संपन्न



डॉ. शैलजा सक्सेना और डॉ. महीप सिंह - दीप प्रज्ज्वलन


9 अगस्त, 2008 – ओकविल (कैनेडा) – हिन्दी राइटर्स गिल्ड का उद्‍घाटन समारोह ’ओकविल लाईब्रेरी (सेन्ट्रल) थियेटर’ साहित्यिक गरिमापूर्ण कार्यक्रम के साथ सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम की गरिमा विशेष अतिथि डॉ. महीप सिंह की उपस्थिति से और भी बढ़ गई। डॉ. महीप सिंह न केवल प्रख्यात कहानीकार, उपन्यासकार और हिन्दी साहित्य के विद्वान है बल्कि उनकी साहित्य के प्रति प्रतिबद्धता भी प्रसिद्ध है। उन्होंने हिन्दी लेखन को आजीवन, विभिन्न ढंगों से प्रोत्साहित किया है - चाहे वह ’सचेतन कहान’ आन्दोलन हो या ’संचेतना’ पत्रिका का कितने ही दशकों से निरन्तर प्रकाशन । चाहे वह “भारतीय लेखक संगठन” का गठन हो या “पंजाबी राइटर्स कोऑपरेटिव” की सक्रिय अध्यक्षता। “हिन्दी राइटर्स गिल्ड” जैसी संस्था; जिसके उद्देश्य डॉ. महीप सिंह की विचारधारा के समानन्तर हैं; के उद्‌घाटन के लिए शायद ही कोई इतना उपयुक्त साहित्यकार होता।लगभग 1:45 बजे कार्यक्रम आरम्भ करते हुए डॉ. शैलजा सक्सेना ने, जो इस संस्था की एक संस्थापक सदस्या हैं, उपस्थित श्रोताओं व लेखकों का स्वागत किया और मानोषी चैटर्जी को सरस्वती वन्दना गायन के लिए आमन्त्रित किया। मानोषी न केवल एक अच्छी लेखिका हैं; वह शास्त्रीय संगीत की निपुण गायिका भी हैं। डॉ. महीप सिंह के द्वारा “दीप प्रज्ज्वलन” के पश्चात विजय विक्रान्त (संस्थापक सदस्य) ने मुख्य अतिथि का परिचय देते हुए उनका स्वागत किया। इसके पश्चात विजय विक्रान्त ने डॉ. महीप सिंह को औपचारिक उद्‍घाटन करने व आशीर्वाद के कुछ शब्द कहने के लिए आमन्त्रित किया।डॉ. महीप सिंह ने कहा कि जो समाज अपनी मूलभूत जड़ों से जुड़ा रहता है वही समाज विकास कर पाता है। उन्होंने “हिन्दी राइटर्स गिल्ड” जैसी संस्था की स्थापना को इसी सन्दर्भ में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि कहा। उनके प्रोत्साहन भरे शब्दों के बाद कार्यक्रम का अगला चरण आरम्भ हुआ।



डॉ. महीप सिंह

डॉ. शैलजा सक्सेना ने “पावर-प्वाइंट प्रेजन्टेशन” के साथ उपस्थित श्रोताओं व दर्शकों को “हिन्दी राइटर्स गिल्ड” के उद्देश्य, गठन व कार्यविधि से परिचित करवाया। उन्होंने कहा कि यहाँ पर विभिन्न साहित्यक संगठनों के लगातार प्रयास से आज गिल्ड जैसी संस्था की आवश्यकता अनुभव होती है। हिन्दी राइटर्स गिल्ड एक लाभ निर्पेक्ष (ओण्टेरियो पंजीकृत) संस्था है जिसका उद्देश्य कैनेडा में हिन्दी साहित्य के प्रकाशन को प्रोत्साहित करना है। इस समय इण्डो-कैनेडियन लेखकों की पुस्तकें अधिकतर भारत में छ्पती/प्रकाशित होती हैं। इस प्रस्तुति के पश्चात साहित्यिक कार्यक्रम आरम्भ हुआ।



हिन्दी साहित्य की उद्‌भव से आधुनिक काल तक की यात्रा की सूत्रधार डॉ. शैलजा सक्सेना थीं। उन्होंने काव्य-यात्रा का आरम्भ कालीदास की संस्कृत कविता से किया और मानोषी चैटर्जी को मंच पर आमन्त्रित किया। मानोषी चैटर्जी ने कालीदास के मेघदूत के कुछ श्लोकों का अपनी मधुर स्वर में गायन करते हुए उसका अनुवाद भी किया। इसके पश्चात विजय विक्रान्त अमीर खुसरो की हिन्दी साहित्य को दी गई भेंट को बहुत ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। डॉ. शैलजा सक्सेना ने लोक साहित्य के महत्व को रेखांकित करने के लिए इन्द्रा वर्मा को मंच पर आमन्त्रित किया जिन्होंने एक “चैती” गाई। विभिन्न कालों व वादों से परिचित करवाते हुए डॉ. शैलजा सक्सेना यह काव्य-यात्रा आधुनिक काल तक ले आईं। उन्होंने निर्मल सिद्धू को मुक्तिबोध की कविता “अन्धेरे में” का एक अंश पढ़ने के लिए आमन्त्रित किया। निर्मल सिद्धू ने इस अंश को पहले लाचार भाव से पढ़ा और फिर उसे ही आक्रोश भाव के साथ। एक ही अंश की दो अलग भावों की प्रस्तुतियाँ सुनकर कवि की रचना-मनःस्थिति का बोध हुआ। शैलजा जी ने हिन्दी साहित्य की फिल्मी जगत को देन को भी रेखांकित किया और इसे प्रमाणित किया भुवनेश्वरी पांडे ने “बन्दिनी” फिल्म का एक गीत सुनाकर। इसी यात्रा की अगली कड़ी, अनूदित साहित्य की, पाराशर गौड़ ने अपनी गढ़वाली कविता और उसके हिन्दी अनुवाद के पाठ के साथ जोड़ी। काव्य विधा का अन्त अगली पीढ़ी यानि बाल कविता के साथ हुआ। काव्य-पाठ किया अनमोल सक्सेना ने सियाराम शरण गुप्त की कविता हिमालय का।गद्य विधा का आरम्भ आशा बर्मन ने महादेवी वर्मा के भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के संस्मरण के साथ किया। समय बहुत तेजी से भागा जा रहा था। समय को ध्यान में रखते हुए लघुकथा की प्रस्तुति से पहले ही डॉ. महीप सिंह को कहानी विधा के विषय में बोलने के लिए और अपनी एक कहानी सुनाने के लिए आमन्त्रित किया गया। डॉ. साहिब ने बहुत विस्तार के साथ आधुनिक कहानी का इतिहास समझाया और कहा कि कहानी कविता की अपेक्षा काफी देर के बाद भारत में लिखी जानी शुरू हुई। पश्चिम के कई लेखकों के उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि किस तरह से हिन्दी कहानी उनसे एक कदम पीछे रही है। अपनी ’संचेतन’ कहानी के विषय में बोलते हुए उन्होंने कहा कि जब कहानी अमूर्त हो जाती है तो वह आज जनता में लोकप्रिय नहीं हो पाती। सचेतन कहानी इसी प्रक्रिया से बचने का एक प्रयास है।प्रवासी कहानी के महत्व को आज के जगत में उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा कि भिन्नता जो विशिष्टता की दिशा में ले जाए वह स्वीकार्य होनी चाहिए। प्रवासी लेखकों को अपना कलापक्ष निखारने के लिए, भारत में रचे जा रहे आधुनिक साहित्य से परिचित होना चाहिए। उन्होंने अपनी ग्रंथावली में से “कितने सैलाब” कहानी का पाठ किया। इस समय तक संध्या के 4:45 हो चुके थे।अन्त में सुमन कुमार घई (संस्थापक सदस्य) ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। हिन्दी राइटर्स गिल्ड डॉ. महीप सिंह जी को धन्यवाद देती है कि भारत लौटने केवल दो दिन पहले वह इस कार्यक्रम के लिए ओटवा से टोरोंटो आए। श्याम त्रिपाठी (संपादक हिन्दी चेतना) भी धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने महीप सिंह जी की कैनेडा में उपस्थिति से हिन्दी राइटर्स गिल्ड को अवगत कराया। भूपिन्दर विरदी और मीना चोपड़ा ने निःशुल्क ’स्टार बज़्ज़’ में इस कार्यक्रम का विज्ञापन प्रकाशित किया, इसके लिए भी हिन्दी राइटर्स गिल्ड इस दम्पती की आभारी है। अन्त में उन अनेक निःस्वार्थ कार्यकर्ताओं का भी धन्यवाद, जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
Posted by Hindi Writers Guild at
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Friday, December 5, 2008

हिन्दी राइटर्स गिल्ड _ लक्ष्य कथन और परिकल्पना






लक्ष्य कथन
कैनेडा और उत्तरी अमेरिका के जनसामान्य में हिन्दी भाषा एवं साहित्य के ज्ञान की वृद्धि करना और उसके प्रति अभिरुचि बढ़ाना; प्रवासी हिन्दी लेखकों की पुस्तकों के प्रकाशन और प्रचार-प्रसार में सहायता करना।

परिकल्पना
हिन्दी लेखन कला और हिन्दी साहित्य की शिक्षा
हिन्दी लेखन के लिए कम्प्यूटर ज्ञान की सुविधा
अहिन्दी-साहित्य का हिन्दी में अनुवाद
पुस्तकों के प्रकाशन और सम्पादन की सुविधा
विद्वानों द्वार हिन्दी साहित्य, व्यवसाय, पर्यावरण और दर्शन पर भाषणों का आयोजन
पुस्तक प्रदर्शनियों, जन-संगोष्ठियों और सम्मेलनों का हिन्दी भाषा और साहित्य के संवर्द्धन के लिए आयोजन
अस्पतालों और अन्य संस्थाओं और जन-सामान्य के लिए हिन्दी अनुवाद की सुविधा जिनकी मातृ-भाषा इंग्लिश नहीं है
लाभनिर्पेक्ष संस्थाओं, लाभनिर्पेक्ष सामाजिक, सरकारी संस्थानों और शिक्षण संस्थाओं के साथ हिन्दी पुस्तकों, हिन्दी लेखकों और हिन्दी साहित्य से संबन्धित कार्यों में सहयोग और साझेदारी
कनाडा के समाज में प्रवासी भारतीयों का, कनाडा के दृष्टिकोण से हिन्दी में लिखित “भारतीय-कनेडीयन साहित्य’ द्वारा समन्वय
हिन्दी लेखकों और विद्वानों के लिए हिंदी की ई-पत्रिका और ई-पुस्तकालय का हिन्दी वेबसाइट द्वारा आयोजन