Thursday, August 20, 2009

हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने १५ अगस्त मनाया....


हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने १५ अगस्त के अवसर पर राबर्ट फ्लैचर स्पोर्ट्सप्लैक्स में कवि सम्मेलन का आयोजन किया और देशप्रेम की कविताओं के माध्यम से भारत का ६२वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाया। यह कार्यक्रम १.३० बजे सरस्वती वंदना के साथ प्रारंभ हुआ। यह कार्यक्रम श्रीमती भुवनेश्वरी पाँडेय ने आयोजित किया था। कार्यक्रम का संचालन टोरांटो की प्रसिद्ध कवियत्री श्रीमती आशा बर्मन ने किया

देशप्रेम की कविताओं और गीतों का यह कार्यक्रम ४ बजे तक चला जिसमें गिल्ड के सदस्य कवियों और गैर-सदस्य कवियों ने अपनी रचनायें पढीं। इस कार्यक्रम में हिन्दी और पंजाबी भाषाओं की कविताएँ पढ़ीं गईं जिसके द्वारा गिल्ड का एक उद्देश्य "अन्य भारतीय भाषाओं की हिन्दी के साथ सहकारिता" सार्थक हुआ।



कार्यक्रम का प्रारंभ पंजाबी के कवि और पंजाबी पत्रिका "संवाद" के सम्पादक, श्री सुखेन्दर जी की कविता से हुआ। उन्होंने अपनी कविता " सुनदे हाँ कविता बहुत अग्गे लँघ गई है" में कविता को पुन: धरती से, धरती के सुख-दुख से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। इस के बाद श्रीमती इंदु शर्मा ने " बस एक क्षण" कविता में भारत की याद करते हुए कहा कि ग्लोब में भारत और कनाडा के बीच ११ इंच की दूरी है और वास्तविकता में भारत हज़ारों मील दूर है। कविता में बचपन के साथ-साथ चाट, दोसे, छोलों की भी याद की गई थी और सच ही है कि अपने देश और अपने लोगों को याद करते हुए अपनी प्रिय दुकानों के खानों को भी याद किया ही जाता है। अगले कवि श्री शरण श्रीवास्तव ने अपने गीत " "उन्मुक्त" से सबका मन बाँध लिया। उनकी इस शुभकामना में सभी सम्मिलित थे..
"उन्मुक्त हो पवन बहे,संयुक्त हो वतन रहे
स्वदेशवासियों मेरे, निर्भीक हो भवन रहें"

इसके बाद के कवि श्री पाराशर गौड ने कविता के मूड को बदलते हुए हास्य-व्यंग्य की कविता सुनाई। श्रीमती प्रमिला भार्गव ने अपनी कविता "मेरा भारत, मेरा सपना" में भारत के राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति के सुधरने के सपने का वर्णन किया। इसके बाद कवि श्री राज माहेश्वरी ने अपने गीत " मेरी आशाओं का भारत" के : "मेरा भारत वह भारत हो, जहाँ सत्यमेव जयते सच हो" से सबको मोह लिया। श्री शरण घई ने "सुमधुर भारत वर्ष हमारा" में भारत की उदारता का वर्णन किया जिसने अनेक संस्कृतियों और धर्मों को अपने में समा लिया है। श्री सुरेन्द्र पाठक ने पुन: वातावरण को बदलते हुए हास्य-व्यंग्य की कविता "लाटरी" सुनाई जिसमें पत्नी की लाटरी-प्रेम और लाटरी से धनी हो जाने की आशा पर व्यंग्य था। श्रीमती सरोजनी जौहर ने अपनी कविता में शहीदों को भावभीनी श्रद्धाजँलि देते हुए कहा " माटी से खुशबू आती है, अब भी उनके बलिदानों की"। अगले कवि श्री सुमन घई थे जो "हिन्दी टाइम्स"(समाचार पत्र) और वेब पत्रिका "साहित्यकुंज" के संपादक हैं, वे अपनी कविता में कल्पना का एक ऐसा संसार देखते हैं जहाँ सौंदर्य, समानता, स्वास्थ्य और प्रदूषण रहित वातावरण हो। उनकी कल्पना ने सभी श्रोताओं को थोड़ी देर के लिये मंगलकामना के मधुर वातावरण पहुँचा दिया। श्री राकेश तिवारी जो "हिन्दी टाइम्स" के प्रकाशक और "दोस्ती" रेडियो कार्यक्रम के प्रस्तुत कर्ता है, उन्होंने भारत और भारत से जुडी बचपन और जवानी की यादों को छोड आने और विदेश की भूमि से जुड़ते जाने की स्थिति पर मार्मिक कविता पढ़ी " दूर बहुत दूर देश अपना है, आँसूभरी आँखों से सिर्फ देख पाऊँ जिसे,ऐसा एक सपना है"। पंजाबी के वयोवृद्ध कवि श्री एस.एस. सूरी जी ने पंजाब पर लिखी कविता " मेरा पिंड पंजाब है" बहुत भावमग्न होकर गाई और सभी को भावमुग्ध कर दिया। इसके बाद डॉ. शैलजा सक्सेना ने भारत की वास्तिवक स्थिति और भारत के सुंदर स्वप्न की दूरी पर अपनी कविता "फर्क" पढ़ी जिसमें इस दूरी पर विवशता दिखाते हुए कहा: "ऐसे में बेबसी तीव्र हो-हो कर कितना सताती है, ये मेरे जैसे वे सभी जानते हैं, जो लिखने और करने के बीच का फर्क पहचानते हैं"। श्रीमती कृष्णा वर्मा ने भारत की यथास्थिति पर बहुत उद्वेलक कविता सुनाई। श्रीमती भुवनेश्वरी ने मनुष्य के अहंकार पर चोट करते हुए अपनी कविता "तुम क्या हो?" पढ़ी। मनुष्य को ब्रह्माण्ड के चक्र का एक बहुत छोटा सा हिस्सा बताते हुए उन्होंने मनुष्य के अपने कुछ होने के अहसास को चुनौती दी। गिल्ड के नये सदस्य श्री गोपाल जी बघेल ने अपने प्रेरणा पूर्ण गीत "भारत भुवन को उर रखो, सुरसरी बन भव को तरो" के मधुर गान से सब को मुग्ध कर लिया। श्रीमती दिव्या भारद्वाज ने अपनी माता जी के द्वारा लिखी कविता " शक्तिमती बाला, शक्तिमान समाज" में नारी के योगदान को याद किया और नारी शक्ति को प्रोत्साहित किया। इस के बाद मंच का कुशल संचालन कर रहीं श्रीमती आशा बर्मन ने अपनी कविता में प्रवासी भारतीयों को भारत छोड आने के "गिल्ट" या पश्चाताप में न जीने की सलाह देते हुए उन्हें उनके सौभाग्य की याद दिलाई कि उन्हें दो संस्कृतियों, दो समाजों में जीने और उनका लाभ उठाने का अवसर मिला है। कविता में प्रवासीपन को नई दृष्टि से देखा गया था। आशा जी ने कवि सुमित्रानंदन पंत की " भारतमाता ग्रामवासिनी" की कुछ पंक्तियाँ सुनाईं और कवि "नीरज" की सीमा पर लड़ने वाले सैनिकों को संबोधित कर के लिखी गई मार्मिक कविता सुनाई। अनुपस्थित कवि श्री निर्मल सिद्धू की कविता "हम जीतेंगे" श्रीमती इंदु शर्मा ने पढ़ कर सुनाई जिसमें वर्तमान की अनेकों कठिनाइयों के बाद भी विजयी होने का प्रेरणाकारी विश्वास था।

कार्यक्रम में प्रस्तुत सभी कविताओं की उपस्थित श्रोताओं ने भरपूर सराहना की। इस अवसर पर "वापसी" उपन्यास की लेखिका रेनू सिंधू भी उपस्थित थीं, गिल्ड ने उनका स्वागत किया। कार्यक्रम के अंत में डॉ.शैलजा सक्सेना ने नये श्रोताओं को गिल्ड के विषय में संक्षेप में बताया और हिन्दी की अन्य संस्थाओं के कार्यों को भी सराहा। गिल्ड में कविता के अतिरिक्त कहानी, नाटक, लेख और निबंध आदि विधाओं में भी लेखन के लिये प्रोत्साहन दिया जाता है और कवियों की रचनायें ब्लाग "hindiwg.blogspot.com" पर लगाई जाती हैं। ३ अक्टूबर,२००९ में होने वाले बडे कार्यक्रम की संक्षिप्त सूचना भी दी गई जो सांयकाल ३ बजे से पोर्टक्रेडिट स्कूल में होगा। इस में संगीत का कार्यक्रम होगा और साथ ही अमरीका से आये कवियों के साथ ही अन्य भारतीय भाषाओं के कवियों और सदस्य कवियों की कविताओं को सुना जा सकेगा। कार्यक्रम का अंत राष्ट्रीय गान और स्वादिष्ट जलपान से हुआ।

Monday, August 17, 2009

जून १४, २००९ का नाटक वाचन और गोष्ठी सुनिए


ओकविल जून १४, २००९ - पिछले वर्ष अगस्त में हिन्दी राइटर्स गिल्ड की स्थापना होने से लेकर आज तक निरन्तर इस संस्था की गतिविधियाँ गति पकड़ती जा रही हैं। कवि गोष्ठियाँ, साहित्यिक कार्यशालाएँ, नई विधाओं और प्रयोगवादी साहित्य को मंच प्रदान करना, अंतरजाल का भरपूर प्रयोग करना, कवि गोष्ठियों की एमपी३ फाईल को अंतरजाल पर लगाना ताकि दुनिया भर के लोग इसका आनन्द उठा सकें इत्यादि कदम हैं जो अभी तक कैनेडा की कोई साहित्यिक संस्था नहीं उठाए। पिछले माह इन्दु शर्मा ने इसी श्रृंखला में एक और कड़ी जोड़ी। उन्होंने अपने निवास पर एक कवि गोष्ठी का आयोजन २४ मई को किया। उस दिन उन्होंने स्वयं इसकी सदस्यता भी ग्रहण की।
हिन्दी राइटर्स गिल्ड का अगला कार्यक्रम १४ जून को ओकविल के पुस्तकालय में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के आरम्भ में भारत के तीन प्रसिद्ध कवियों, ओम प्रकाश आदित्य, नीरज पुरी और लाड़ सिंह गुज्जर की स्मृति में मौन रखा गया। इन तीन कवियों की सड़क दुर्घटना दो सप्ताह पहले मृत्यु हो गई थी।
इसके पश्चात बार नाटक वाचन (रेडियो नाटक) का प्रस्तुत किया गया। इस लघु नाटिका को डॉ. शैलजा सक्सेना ने लिखा था। इसे स्वर दिया स्वयं डॉ. शैलजा सक्सेना ने और आशा बर्मन ने। संगीत दिया उमंग सक्सेना और आशा बर्मन ने । आशा जी ने मैथिलीशरण गुप्त जी की एक कविता को भी स्वरबद्ध किया और गाया भी। उपस्थित सभी कवियों व कवयित्रियों ने अपनी रचनाएँ सुनाईं। इस दिन की गोष्ठी के प्रायोजक (स्पांसर) लता पांडे और नवीन पांडे थे। इस काव्य संध्या में भाग लेने वाले कवियों व कवयित्रियों के नाम इस प्रकार हैं – भगवत शरण श्रीवास्तव, दीप्ति अचला कुमार, पाराशर गौड़, संदीप त्यागी, निर्मल सिद्धू, आशा बर्मन, सरन घई, लाता पांडे, विजय विक्रान्त, इन्दु शर्मा, शैलजा सक्सेना, सुमन कुमार घई और भुवनेश्वरी पांडे। इस कार्यक्रम को नीचे दिए गए एमपी३ प्लेयर से सुन सकते हैं।