Tuesday, February 28, 2012

टोरोंटो में विश्व हिन्दी दिवस समारोह


बाएँ से पिछली पंक्ति - सतीश ठक्कर (अध्यक्ष -इंडो-कैनेडा चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स), जसबीर कालरवी, निर्मल सिद्धू, आचार्य संदीप कुमार त्यगी ’दीप’, सरन घई, डॉ. शैलजा सक्सेना, मीना चोपड़ा, सुमन कुमार घई, वाईस काउंसल (कमर्शियल) प्रदीप कुमार। अगली पंक्ति में बाएँ से - परमजीत कौर, सविता अग्रवाल, कृष्णा वर्मा, बिधु शर्मा (एमपीपी), काउंसल जनरल प्रीति सरन, भगवत शरण श्रीवास्तव, मानोशी चटर्जी, पमजीत कौर के पिता जी
भारतीय काउंसलावास ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड के सहयोग से आयोजन किया

हर वर्ष १० जनवरी विश्व हिन्दी दिवस के रूप में दुनिया भर में मनाया जाता है। इस बार टोरोंटो स्थित भारतीय काउंसलावास ने विश्व हिन्दी दिवस २१ जनवरी को अपने मुख्य सभागार में हिन्दी राइटर्स गिल्ड के सहयोग से मनाया।
भारतीय काउंसलावास ने इस अवसर पर एक पुस्तक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया और इसमें सभी के लिए पुस्तकें निःशुल्क उपलब्ध थीं।
कार्यक्रम शनिवार, २१ जनवरी को सुबह ११ बजे आरम्भ हुआ। वाईस काउंसल (कमर्शियल) प्रदीप कुमार जी ने उपस्थित अतिथियों, कवियों और कवयित्रियों का स्वागत किया और डॉ. शैलजा सक्सेना को कार्यक्रम का संचालन करने के लिए आमंत्रित किया।
काउंसल जनरल श्रीमती प्रीति सरन जी ने इस दिवस पर अपना संदेश देते हुए प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का संदेश पढ़ा। संदेश में प्रधान मंत्री ने हिन्दी के स्वर्णिम भविष्य का विश्वास दिलाते हुए कहा कि आज हिन्दी न केवल राष्ट्र भाषा या संपर्क भाषा है बल्कि विश्व भाषा बनती जा रही है।
कार्यक्रम का आरम्भ करते हुए संचालिका डॉ. शैलजा सक्सेना सबसे पहले कवि आचार्य संदीप कुमार त्यागी "दीप" को आमंत्रित किया। संदीप जी ने स्वरचित हिन्दी राष्ट्र गान का पाठ करने के बाद घनाक्षरी छंद में हिन्दी भाषा के ऐतिहासिक लेखकों को याद करती हुई कविता का पाठ किया। इस कार्यक्रम में सौभाग्यवश टोरोंटो में पहले से ही उपस्थित मैनीटोबा के प्रांतीय सांसद श्री बिधु झा ने भी काव्यपाठ किया जिसे बहुत सराहा गया।
इस कार्यक्रम में काव्यपाठ करने वाले कवियों और कवयित्रियों के नाम इस प्रकार हैं – सर्वश्री संदीप कुमार त्यागी, बिधु झा, निर्मल सिद्धु, सरन घई, जसबीर कालरवी और सुमन कुमार घई। सर्वसुश्री परमजीत, मानोशी चटर्जी, मीना चोपड़ा, कृष्णा वर्मा, सविता अग्रवाल, भुवनेश्वरी पांडे और शैलजा सक्सेना। काव्यपाठ के अंत में भारतीय काउंसलावास ने सभी काव्यपाठ करने वालों को भेंट दी।
सभागार में १०० के लगभग उपस्थित श्रोताओं ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कविता के स्तर और संचालन की कुशलता और समय की पाबंदी की प्रशंसा की।
कार्यक्रम का अंत प्रीतिभोज से हुआ।
हिन्दी राइटर्स गिल्ड हिन्दी साहित्य की अग्रणी संस्था है जो विश्व पटल पर हिन्दी साहित्य लेखकों और साहित्य प्रेमियों की सेवा कर रही है।

Thursday, July 14, 2011

कवि गोष्ठी - जुलाई १०, २०११

प्रिय मित्रों,
जुलाई महीने की गोष्ठी दिनांक दस को सुमन घई जी के संचालन/अध्यक्षता में संपन्न हुई। गरम चाय, समोसों और जलेबी के बीच यह गोष्ठी अनौपचारिक रूप से चली। इस गोष्ठी में पहले डॉ. शैलजा सक्सेना ने सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की तीन कविताओं- "माँ की याद", "राग डींग कल्याण" और "लीक पर वे चलें" का पाठ और व्याख्या की। उपस्थित कवियों ने इन कविताओं में बिंब, भाव, भाषा और कम शब्दों में गहरी बात कहने की कवि की कला पर टिप्पणी की और भाव की गहनता को सराहा।
इसके बाद सभी कवियों ने अपनी-अपनी रचनाएँ पढ़ीं और उपस्थित कवियों ने इन कविताओं की समालोचना की। इस गोष्ठी की विशेषता यह थी कि सभी ने मुक्त भाव से अपनी रचनाओं के विषय में टिप्पणी सुनी और मुक्त भाव से दूसरों की रचनाओं के विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किये। श्री राज महेश्वरी ने हरिवंश राय बच्चन की कविता सुनाई, शेष कवियों में सविता अग्रवाल, कृष्णा वर्मा, प्रमिला भार्गव, डॉ. इंदु रायज़ादा, डॉ. रेणुका शर्मा, गोपाल बघेल, प्राण किरतानी, निर्मल सिद्दू, भूपिन्दर और डॉ. शैलजा सक्सेना ने अपनी कविताएँ सुनाई। सुमन घई और विजय विक्रांत ने अपनी कविताएँ नहीं सुनाई। ऐसा प्राय: कम देखा गया है कि कवि, मंच होने और श्रोताओं के आग्रह के बाद भी अपनी कविता नहीं सुनाए, खैर, अगली काव्य गोष्ठी में आप सब के बीच में ये कवि अपनी कविता सुनायेंगे, हमें ऐसी आशा है।
विचार यह है कि अगले कुछ कार्यक्रमों में कवि गोष्ठी ही की जाये और हर बार आजकल के प्रतिष्ठित कवियों की कविताओं का पाठ किया जाये और इन कविताओं का विवेचन भी किया जाये ताकि हम लोग इन कवियों की रचनाओं के सौंदर्य का आनंद उठा सकें। यह काम ३०-४५ मिनट में आसानी से हो सकता है और इस के बाद अपनी रचनाओं का पाठ किया जाये।
कवियों से अनुरोध है कि वे अपनी वे रचनायें ही सुनाएँ जिन्हें उन्होंने गिल्ड की गोष्ठियों में नहीं सुनाया हो ताकि उन्हें अधिक लिखने का बहाना मिले और शेष सब को नई रचनायें सुनने को मिलें। पुरानी अधिक सराही गई रचनाओं को आगे, बड़े समारोहों में जनता के सामने सुनाने के लिये हमें सुरक्षित रखना चाहिये जैसे हमारे अतिथि कवि किया करते हैं।
अगली बार का कार्यक्रम अगस्त के दूसरे रविवार को २ बजे से ५ बजे तक होगा। इस गोष्ठी में अज्ञेय की रचनाओं पर चर्चा की जायेगी। आप लोग इन कवियों की कवितायें अपने ब्लॉग पर लगे काव्य-कोश के लिंक पर जा कर पढ़ सकते हैं। आप इन्हे इन अन्य लिंकों पर भी पढ़ सकते हैं। इन कवियों के अतिरिक्त सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की उपरोक्त कविताएँ और अन्य बहुत सी कवियों की रचनाएँ भी आप इन लिंक पर पढ़ सकते हैं।
www.hindiwg.blogspot.com
www.anubhuti-hindi.org
आशा है कि अगली बार हमें अपने उन सब साथियों से मिलने का अवसर मिलेगा जिन से हम
इस बार नहीं मिल पाये। सच बात यह है कि आप सब के बिना कविता कहने-सुनने का आनन्द घट जाता है। आशा है कि आप लोग अगली बार आयेंगे..
और हम सब समय पर आयेंगे ताकि कार्यक्रम ठीक समय पर शुरू हो सके और अबको अपनी रचनाएँ सुनाने का पूरा समय मिल सके।
समय: दो बजे से ढ़ाई बजे तक अल्पाहार और बातचीत
कवि गोष्ठी- ढ़ाई बजे से पाँच बजे

सादर,
हिन्दी राइटर्स गिल्ड
...................................
दु:ख सबको माँजता है
और जिन्हें यह माँजता है
उन्हें यह सीख देता है कि सबको मुक्त रखें॥
------ अज्ञेय

Monday, March 21, 2011

श्रीमती अरुणा भटनागर सरस्वती पुरस्कार – २०११ से सम्मानित

हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने अपना सर्वप्रथम सरस्वती पुरस्कार श्रीमती अरुणा भटनागर को दिया
हिन्दी साहित्य की मानक संस्था हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने १३ फरवरी, २०११ को हिन्दु सभा ब्रैम्पटन के सहयोग से हुए महा कवि सम्मेलन में प्रसिद्ध हिन्दी कर्मी श्रीमती अरुणा भटनागर को हिन्दी साहित्य के निस्वार्थ प्रचार प्रसार के लिए सरस्वती पुरस्कार से सम्मानित किया है।
हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने इसी वर्ष सरस्वती पुरस्कार की घोषणा की है। हिन्दी राइटर्स गिल्ड के प्रवक्ता, सुमन कुमार घई ने बताया, "यह पुरस्कार हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखन और हिन्दी कर्मियों को दिया जाएगा। अपनी तरह का यह कैनेडा का पहला पुरस्कार है। अपना सर्वप्रथम पुरस्कार श्रीमती अरुणा भटनागर जी को प्रदान करते हुए हमें बहुत हर्ष हो रहा है क्योंकि अरुणा जी बरसों से विभिन्न देशों में हिन्दी भाषा की शिक्षा, प्रचार एवं प्रसार से जुड़ी रही हैं।"
श्रीमती अरुणा भटनागर कैनेडा में आने से पहले इंग्लैंड में भी हिन्दी की सेवा करती रहीं। वह हिन्दी साहित्य सभा की संस्थापक सदस्य हैं। हिन्दी साहित्य सभा की पहली अध्यक्षा श्रीमती अरुणा भटनागर किसी न किसी रूप में अभी तक संस्था की कार्यकारिण की सदस्या रही हैं। पैनोरामा इंडिया के मंडल की रह चुकी सदस्या श्रीमती अरुणा भटनागर एविक के कार्यक्रमों में भी व्यस्त रही हैं। स्वयं सेविका अरुणा भटनागर न केवल स्वयं हिन्दी के लिए अर्पित हैं, बल्कि वह अन्यों को भी इस क्षेत्र में योगदान देने के लिए सदैव प्रोत्साहित करती रहती हैं। जीटीए की कई संस्थाएँ उनकी सेवाओं पर निर्भर करती हैं।
हिन्दी राइटर्स गिल्ड द्वारा इस वर्ष सरस्वती पुरस्कार – २०११ के चयन में श्रीमती अरुणा भटनागर जी के अथक परिश्रम को मान्यता दी गई है।
बुरा स्वास्थ्य होने के कारण वह कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो पाईं परन्तु उनकी ओर से उनकी भाभी श्रीमती इंदिरा वर्मा ने सम्मान स्वीकार किया।
हिन्दी राइटर्स गिल्ड का उद्देश्य कैनेडा में हिन्दी साहित्य के प्रति लोगों में रुचि जगाना, लेखकों को कैनेडा की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए लेखन के लिए प्रोत्साहित करना, कैनेडा में हिन्दी पुस्तकों के प्रकाशन को स्थापित करना इत्यादि हैं। लगभग दो वर्ष पहले बनी इस संस्था ने अभी तक कई महत्वपूर्ण लक्ष्यों को पूरा किया है, जिसमें से एक ब्रैम्पटन लाइब्रेरी के साथ साझेदारी भी है और चिंग्कूज़ी ब्रांच में हर महीने के दूसरे रविवार को दोपहर के २ बजे से शाम के ५ बजे तक गोष्ठी भी होती है जिसमें सभी का स्वागत है।

वसंत पंचमी पर हिन्दी राइटर्स गिल्ड का महा कवि सम्मेलन

हिन्दु सभा मंदिर, ब्रैम्पटन के सभागार में मंदिर के सहयोग से हुआ कवि सम्मेलन

ब्रैम्पटन, फरवरी १३, २०११ – आज दोपहर तीन बजे हिन्दु सभा मंदिर, ब्रैम्पटन के सभागार में हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने के महा कवि सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें बृहत टोरोंटो क्षेत्र के कवियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
वसंत पंचमी को मनाने के लिए आयोजित किए गए इस महा कवि सम्मेलन कई कारणों से महत्वपूर्ण था। वसंत पंचमी, कला की देवी माँ सरस्वती पूजन का दिवस होता है। इस पावन दिवस पर मंदिर के सभागार में, मंदिर के सहयोग से माँ सरस्वती को काव्य पुष्पों का अर्पण इसका महत्व दर्शाता है।
कवि सम्मेलन सवा तीन बजे मानोशी चटर्जी (टोरोंटो) और इंदिरा वर्मा (ओकविल) ने सरस्वती वंदना से आरम्भ किया। पंडित अभय शास्त्री जी के मंत्रोच्चारण के साथ हिन्दु सभा ब्रैम्पटन के प्रेसिडेंट श्री प्रवीण शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित किया। श्री प्रवीण शर्मा ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड और उपस्थित जनों का स्वागत किया और बताया कि मंदिर की ओर से सभी काव्य पाठ करने वालों का शाल की भेंट से अभिनन्दन किया जाएगा। उन्होंने हिन्दी राइटर्स गिल्ड का धन्यवाद करते हुए कहा, "आप वास्तव में इस देश में हिन्दी और भारतीय संस्कृति को जीवित रखने के लिए परिश्रम कर रहे हैं।"
डॉ. शैलजा सक्सेना ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड की ओर से मंदिर को कवि सम्मेलन में सहयोग के लिए धन्यवाद करते हुए भविष्य में भी सहयोग की अभिलाषा व्यक्त की। उन्होंने हिन्दी राइटर्स गिल्ड के भविष्य के कार्यक्रमों की चर्चा करते हुए बताया कि ५ मार्च, २०११ को "होली मिलन उत्सव" का आयोजन हिनदु हेरीटेज़ सेंटर, मिसिसागा में आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में बच्चों को विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए उन्होंने आमन्त्रण देते हुए उपस्थित जनों से अनुनय किया कि वह इसका प्रचार प्रसार करें और इस मिलन उत्सव में भाग लेकर आंनद को और बढ़ाएँ। डॉ. शैलजा ने यह भी घोषणा की कि इसी वर्ष हिन्दी राइटर्स गिल्ड अपने सदस्यों की रचनाओं की दो पुस्तकें प्रकाशित करेगी। एक पुस्तक काव्य संकलन होगा और दूसरी पुस्तक में आलेख और कहानियाँ इत्यादि होंगी। उन्होंने मंदिर के मंडल से और उपस्थित लोगों से इन पुस्तकों के प्रकाशन के लिए आवश्यक धनराशि के लिए अपील भी की और जनता को आह्वान दिया कि वह इन पुस्तकों को खरीद कर पढ़ने के लिए तैयार रहें। हिन्दी राइटर्स गिल्ड का एक मुख्य उद्देश्य कैनेडा में पुस्तक प्रकाशन को बढ़ावा देना है और इसलिए पुस्तकों को बेचने का हर संभव प्रयत्न किया जाता है। इस अवसर पर भी एक पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन था और पुस्तकें बेची गईं।
डॉ. शैलजा सक्सेना ने अपनी सहसंचालिका श्रीमती भुवनेश्वरी पांडे को आमंत्रित करते हुए हिन्दी राइटर्स गिल्ड की ओर से हार्दिक धन्यवाद किया क्योंकि इस कार्यक्रम को आयोजित करने का संपूर्ण दायित्व उन्हीं के कंधों पर था। इसके बाद काव्य पाठ आरम्भ हुआ।
पहले कवि थे कैम्ब्रिज ओंटेरियो से श्री भगवत शरण श्रीवास्तव "शरण"। उन्होंने वसन्त का रंग जमाते हुए सस्वर "ऋतुराज" का गान किया। उनके बाद श्रीमती मानोशी चटर्जी ने अपने गीत "प्रिय क्या हो जो हम बिछड़ें तो" का पाठ किया। कविता सौंदर्य रस के कोमल भावों को समेटे हुए थी और बार तालियों से हाल गूँजता रहा। अगले कवि श्री प्राण किरतानी ने पहले कुछ शेर सुनाते हुए अपनी उर्दू नज़्म "आग़ोश" सुनाई और दूसरी रचना में उन्होंने मानव वृत्ति पर टिप्पणी की। श्रीमती इंदिरा वर्मा ने दूरियों को पाटते हुए दीवार पर टँगे "माँ का चित्र" को देखते हृदय में उठती टीस की कविता सुनाई। वरिष्ठ लेखिका श्रीमती राजकुमारी सिन्हा ने अपनी कविता "मदिर मलय पवन हूँ मैं" सुनाते हुए वासन्ती पवन के विभिन्न रूपों की याद ताज़ा कर दी। श्री विद्याभूषण धर जो भारत में कश्मीर के विस्थापित हैं, ने अपनी कविता "चुप रही विस्तता" में अपने अंदर विस्थापन के आक्रोश और हताशा की अभिव्यक्ति की। उनके बाद बारी आई आचार्य संदीप त्यागी "दीप" की। उन्होंने सस्वर दो कवितओं का पाठ किया। श्रोताओं ने उन्हें बहुत सराहा और दिल भर कर वाह-वाह की। अगली कवयित्री श्रीमती लता पांडे थीं। उनकी कविता सदा छोटी और गहरे भाव लिए होती है। आज उन्होंने "कुहासा" सुनाई। श्रीमती सविता अग्रवाल ने अपनी सुंदर कविता में "वसंत का आह्वान" के भाव रखे। श्रीमती कृष्णा वर्मा वसंत से ही संबंधित "झंकृत हुई चेतना" थी। श्री जसबीर कालरवि, जो अपनी गहरे भावों की कविताओं और ग़ज़लों के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने एक कविता और ग़ज़ल सुनाई। डॉ. नीरू असीम की दोनों कविताएँ नारी के मन की पीड़ा को व्यक्त करती थीं। इसके बाद श्री राजमहेश्वरी की बारी आई और उन्होंने सस्वर अपनी सौंदर्य रस की कविता में प्रणय की मनुहार की। हिन्दी चेतना के संपादक और प्रकाशक श्री श्याम त्रिपाठी जी ने भी अपनी कविता में वसन्त की बात की। डॉ. रत्नाकर नराले की रचनाएँ गेय और शास्त्रीय रागों में गुंथीं होती हैं। उन्होंने राधा-कृष्ण के प्रेम प्रसंग को राग ख़माज में बाँधा। स्टार बज़्ज़ समाचार पत्र की संपादिका श्रीमती मीना चोपड़ा ने अपनी प्रकाशित पुस्तक में से भावमयी कविता "रात" सुनाई।
मंदिर के संस्थापक श्री सत मलिक ने अपनी प्रकाशित पुस्तक "तड़प" में से एक उर्दू रचना सुनाई। डॉ. रेणुका शर्मा जो पिछले वर्ष ही दुबई से आई हैं और उनकी यहाँ पर पहली सर्दी है, उनकी रचना में स्वाभाविक शीत ऋतु के अनुभव थे। श्री पाराशर गौड़ की मार्मिक "तस्वीर" कविता में एक ऐसी बूढ़ी माँ का शब्दचित्र था जिसका बेटा विदेश जा कर वहीं का होकर रह गया है। श्री सरन घई ने अपने चिर-परिचित ढंग से हँसते हुए कुछ टिप्पणियों के बाद वसंत का चित्र अपने सुंदर शब्दों से खींच दिया।
मंदिर के भूतपूर्व अध्यक्ष बघड़िया जी ने अपने संबोधन में जीवन में कविता के महत्व को समझाते हुए फारसी के शेर सुनाए और समझाये। उन्होंने कविता को रचने के परिश्रम को रेखांकित करते हुए भी सुबोध शब्द कहे। श्रीमती सुखवर्ष तन्हा ने अपनी रचना में कहा कि मानव वही जाना जाता है जो अपने पैरों के निशान छोड़ता है। हिन्दी टाइम्स के प्रकाशक और अपना रेडियो बॉलीवुड बीट्स के प्रसारक श्री राकेश तिवारी ने सस्वर "आओ प्रेम की बातें करें" कोमल भावों की कविता सुनाई। सुमन कुमार घई की कविता में कैनेडा में वसन्त के आरम्भ की सर्दी की कुंठा व्यक्त की गई थी। विक्रांत जी ने नाटकीय अंदाज़ से शमा की कहानी सुनाई जो रात भर इठलाती है और सुबह की पहली किरण के साथ बुझा दी जाती है। डॉ. शैलजा सक्सेना की कविता "खुशफहमियाँ" में स्वः का विश्लेषण किया गया था। अंत में संचालिका और इस कवि सम्मेलन की संयोजिका श्रीमती भुवनेश्वरी पांडे ने अपनी कविता "प्रतीक्षा वसन्त की" का पाठ किया।
इस कार्यक्रम के मंच की साज सज्जा श्रीमती सविता अग्रवाल और श्रीमती रचना शर्मा ने की थी। श्रीमती रचना शर्मा जो चित्रकार हैं, ने रंगोली भी रची थी। मंदिर ने कार्यक्रम के अंत में प्रीति भोज का प्रबंध भी किया था। चौके में सेवा करने के लिए हिन्दी राइटर्स गिल्ड विशेषरूप में श्री और श्रीमती दिनेश चंद्र जी का धन्यवाद करता है।
इस अवसर पर मंदिर के सक्रिय मंडल के सदस्य श्री पुरषोतम धुप्पड़ जी, श्री विपिन कक्ड़ जी और श्रीमती अनुराधा शरमा उपस्थित थी। श्री कुमार अग्रवाल (ट्रस्टी) भी उपस्थित थे। हिन्दी राइटर्स गिल्ड सीनियर’ज़ कल्ब हिन्दु सभा, ब्रैम्पटन का भी आभारी है जिनके सदस्यों ने भारी संख्या में उपस्थित होकर कवियों और कवयित्रियों का उत्साहवर्धन किया।
अंत में हिन्दी राइटर्स गिल्ड एक बार फिर हिन्दु सभा मंदिर, ब्रैम्पटन का हार्दिक धन्यवाद करती है कि जिन्होंने इस सुंदर कार्यक्रम को आयोजित किया।

Saturday, February 19, 2011

नववर्ष, मकर संक्रांति और लोहड़ी की बधाईयों में बही साहित्य की धारा

नववर्ष, मकर संक्रांति और लोहड़ी की बधाईयों में बही साहित्य की धारा
हिन्दी राइटर्स गिल्ड की ब्रैम्पटन लाइब्रेरी में मासिक गोष्ठी

जनवरी ०९, २०११ - ब्रैम्पटन लाईब्रेरी की १५० सेंटरल पार्क ड्राइव शाखा में हिन्दी राइटर्स गिल्ड और लाइब्रेरी के सहयोग से हर माह के दूसरे रविवार को होने वाले कार्यक्रम "आईये हिन्दी साहित्य की बात करें" के अंतर्गत एक कवि गोष्ठी का संयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम की संयोजिका श्रीमती कृष्णा वर्मा थीं और उन्होंने ही इसकी अध्यक्षता भी की। दोपहर २ बजे कार्यक्रम शुरू हुआ जो अवधि के अंतिम पल यानि ठीक पाँच बजे शाम को समाप्त हुआ। इस कार्यक्रम में २१ लेखकों ने अपनी रचनाएँ सुनाईं। विशेष बात यह रही कि इस कार्यक्रम में कई नए साहित्य प्रेमी उपस्थित हुए, जो कि हिन्दी टाइम्स में प्रकाशित साहित्यिक सूचना को पढ़कर आए थे। इन कार्यक्रमों में सभी का स्वागत होता है, कोई आमन्त्रण का बंधन नहीं है।
सर्दी की इस दोपहर को उपस्थित जनों का स्वागत गरमा-गरम चाय, समोसों, पकोड़ों के साथ किया गया। लोहड़ी के उपलक्ष्य में रेवड़ी, तिल के लड्डू और पॉपकॉर्न भी अतिथियों के लिए परोसे गए थे।
चाय की गरमी पाने के बाद सभी ने अपना स्थान ग्रहण किया और कार्यक्रम का आरंभ श्रीमती कृष्णा वर्मा ने सरस्वती गायन और दीप प्रज्ज्वलन से किया।
डॉ. शैलजा सक्सेना ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड के भविष्य के कार्यक्रमों की चर्चा करते हुए बताया कि अगला कार्यक्रम १३ फरवरी को वसन्त का महोत्सव मनाने के लिए तय हुआ है। इस कार्यक्रम को करने के लिए हिन्दू सभा मंदिर, गौर रोड, ब्रैम्पटन ने आमंत्रित किया है। यह महा कवि समेल्लन हिन्दू सभा मंदिर के सौजन्य से ही प्रस्तुत किया जाएगा। इसका समय दोपहर तीन से छ्ह बजे तक है। इसकी विस्तृत सूचना इसी समाचार पत्र में आपके लिए उपलब्ध है। डॉ. शैलजा सक्सेना ने यह भी सूचना दी कि हिन्दी राइटर्स गिल्ड इस वर्ष अपने सदस्यों की रचनाओं के दो संकलनों की पुस्तकें प्रकाशित करने की योजना बना रहा है। एक काव्य संकलन होगा और दूसरे में कहानियाँ और आलेख इत्यादि होंगे।
इन आवश्यक सूचनाओं के बाद साहित्यिक कार्यक्रम आरम्भ हुआ। सबसे पहली कवयित्री श्रीमती सुखवर्ष तन्हा कंवर थीं जो कि पहली बार संस्था के कार्यक्रम में आईं थीं। कुछ शेरों के बाद उनकी मुख्य रचना "अकेली हूँ" में नारी के दैनिक संघर्ष की छवि थी। श्री वेद प्रकाश कंवर जो कि हिन्दी और अंग्रेज़ी के की उपन्यासों के लेखक हैं वह भी पहली बार गोष्ठी में आए थे। उन्होंने अभी अप्रकाशित अपनी एक लघुकथा सुनाई जिसका शीर्षक था चिट्ठी की आस। अभी भारत से लौटे श्री पाराशर गौड़ ने कविता के माध्यम से परमात्मा से नवर्वर्ष के लिए आशीषों की कामना की। श्रीमती भुवनेश्वरी पांडे ने नववर्ष में "नव जीवन को प्रणाम" किया और विक्रान्त जी ने एक पुरानी कथा "अपने अपने कर्म" को काव्य रूप में सुनाया। जसबीर कालरवि जी ने दो ग़ज़लें सुनाईं जो कि जीवन दर्शन पर आधारित थीं। सुमन कुमार घई "स्मृतियों के अलाव" में लोहड़ी की याद यहाँ के परिप्रेक्ष्य में थी। श्री सरन घई ने अपनी हास्य कविता में दाम्पत्य प्रेम की तुलना नींबू के आचार से की थी, जिससे जीने का स्वाद दोगुना हो जाता है। श्रीमती राज शर्मा की कविता में भारत में नित हो रहे घोटालों पर आक्षेप था। गोष्ठी में पहली बार आईं साहित्य प्रेमिका श्रीमती रजनी सक्सेना ने "मन तोरा दर्पण कहलाए" का सुमधुर गायन किया। नवांगतुक श्री शशिकांत जोगलेकर, जो साहित्य प्रेमी और मंच के अभिनेता हैं, ने एक कहानी का पाठ अपनी स्मृति से किया जो कि उन्होंने कभी सरिता में पढ़ी थी। कहानी पाठ बहुत कलात्मक था। श्री प्राण किरतानी की कविता में "कैसी है यह दुनिया" का प्रश्न था और उनके तुरंत बाद श्रीमती सविता अग्रवाल ने अपनी कविता "स्वीकार" में जीवन के हर रंग को स्वीकार किया। श्री विद्याभूषण धर ने दो हृदय विदारक कविताएँ सुनाईं जो कि कश्मीर विस्थापन से संबंधित थीं। यहाँ उल्लेखनीय हैं श्री विद्याभूषण धर और उनके परिवार को हिंसा के वातावरण में कश्मीर में अपना घर छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा था। श्रीमती प्रमिला भार्गव ने अपनी कविता में पुरानी बातें छोड़ नई बातें कीं और एक बहुत गंभीर कविता "चेतना" सुनाई। डॉ. रत्नाकर नराले ने अपनी संगीत की पुस्तक में से राग पीलू में बंधा एक भजन सुनाया। आचार्य संदीप कुमार त्यागी से उनकी एक ग़ज़ल "जिस्म तो बस लिबास है यारों" सुनाने का निवेदन किया गया। पिछली गोष्ठी में उन्होंने अपने काव्य गुरु डॉ. सत्यव्रत 'अजेय' के खण्डकाव्य रावण प्रति राम में से कुछ अंश सुनाए थे। इस बार भी उन्हें उसे आगे बढ़ाने के लिए कहा गया। यह खण्डकाव्य राम रावण युद्ध को एक नए दृष्टिकोण से देखता है और सोचने के लिए विवश करता है। उनके बाद डॉ. शैलजा सक्सेना बारिश का दृश्य अपनी कविता में भर दिया। अपनी कविता पाठ के बाद उन्होंने श्रीमती कृष्णा वर्मा जी को काव्य पाठ के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने दो रचनाएँ सुनाईं पहली "झुकते तो" मानवीय अहंकार पर आक्षेप था और दूसरी रचना आप्रवासी अनुभव की हास्य रचना "चाव विदेश का" थी।
कार्यक्रम का अंत करते हुए सुमन कुमार घई ने श्रीमती कृष्णा वर्मा जी को सफल कार्यक्रम आयोजन के लिए धन्यवाद देते हुए हिन्दी राइटर्स गिल्ड की ओर से एक पुस्तक भेंट की। श्रीमती सुखवर्ष 'तन्हा' कंवर ने भी अपनी एक कहानियों की पुस्तक हिन्दी राइटर्स गिल्ड को भेंट की जिसके लिए संस्था आभारी है।
बाहर की सर्दी का मुकाबला करने के लिए एक बार चाय का दौर फिर चला, श्रीमती कृष्णा वर्मा जी की अल्पाहार व्यवस्था की सराहना हुई और श्रीमती भुवनेश्वरी पांडे जी के बनाए पकौड़ों का स्वाद लेते हुए सभी विदा हुए।

Tuesday, December 7, 2010

हिन्दी राइटर्स गिल्ड का मासिक कार्यक्रम "आइए हिन्दी साहित्य की बात करें"

०५ दिसम्बर, २०१० - हिन्दी राइटर्स गिल्ड का मासिक कार्यक्रम "आइए हिन्दी साहित्य की बात करें" ५ दिसंबर को ब्रैम्पटन लाईब्रेरी की चिंग्कुज़ी शाखा, १५० सेंट्रल पार्क ड्राईव में हुआ। कार्यक्रम में अगले वर्ष के कार्यक्रमों की चर्चा हुई। हिन्दी राइटर्स गिल्ड के विकास को देखते हुए भविष्य में संस्था की रूप रेखा पर भी विचार-विमर्श हुआ।
अगले वर्ष के कार्यक्रमों की संभावित रूप रेखा के बारे में बातचीत हुई। वर्ष के पहले तीन कार्यक्रमों को आयोजित करने का दायित्व तीन सदस्यों को दे दिया गया है जो इन कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने के लिए अपने साथियों का चयन करेंगे। इन कार्यक्रमों के संचालक सदस्यों को जैसी भी सहायता की आवश्यकता होगी वह सभी सदस्य देंगे। जनवरी का कार्यक्रम लोहड़ी, मकर संक्रांति और नव वर्ष पर आधारित होगा। फरवरी का कार्यक्रम वसन्त पंचमी के उत्सव के उपलक्ष्य में होगा और मार्च का होली त्योहार तो हर वर्ष हिन्दी राइटर्स गिल्ड मनाती ही रही है। जैसे जैसे यह कार्यक्रम विकसित होंगे, सभी साहित्य प्रेमियों को सूचित कर दिया जाएगा।
कार्यक्रम के दूसरे भाग में कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसका संचालन इस बार श्रीमती लता पाण्डे ने किया। इस बार निर्णय लिया गया था और इसे परम्परा की तरह अपना भी लिया जाएगा कि कवि गोष्ठियों में सभी रचनाओं की सकारात्मक समीक्षा तुरन्त रचना के बाद की जाए। सभी कवियों व कवयित्रियों ने इसे सहर्ष स्वीकार किया और इसका स्वागत किया।
सबसे पहली कवयित्री श्रीमती भुवनेश्वरी पांडे थीं। उनकी रचना "आज के अमानुष" आधुनिक जीवन शैली और उसकी प्रतिक्रिया से विकसित होते नए व्यक्तित्व पर पैनी टिप्पणी थी। अगली कविता श्रीमती कृष्णा वर्मा की "चिंता" थी। भाषा सरल थी और भावाभिव्यक्ति हास्य-व्यंग्य को छूती हुई थी। श्रोताओं ने विषय की गंभीरता को भी समझा और कविता बहुत सराही गई। श्री सरन घई अगले कवि थे, उन्होंने अपनी एक पुरानी कविता जो हास्य रस की थी – परदेसवासी पिया को पाती सुनाई। श्रीमती सविता अग्रवाल की कविता सौंदर्य रस की – "कौन हो तुम" थी। प्रेमिका का प्रश्न मन को छूने वाला और कोमल भावों से ओत प्रोत था परन्तु जीवन दर्शन की गम्भीरता भावों में छाई रही। डॉ. शैलजा सक्सेना की कविता "भूमिका" दैनिक जीवन के संघर्ष की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए विभिन्न भूमिकाओं को निभाने की बात कर रही थी। शैलजा जी की कविताएँ सदा ही मन को झकझोरते हुए सोचने पर बाध्य करती हैं। श्री प्राण किरतानी की कविता "परिंदे की कहानी" मानवीय जीवन संवेदनाओं का जीवन्त चित्रण था। अगले कवि श्री विजय विक्रान्त जी ने क्षमा याचना की कि वह आज कविता सुना नहीं पाएँगे क्योंकि वह कोई तैयारी के साथ नहीं आए थे। सुमन कुमार घई की कविता "दरार" भी मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति थी और छोटी होते हुए भी प्रभावशाली थी। आचार्य संदीप त्यागी "दीप" ने अपनी कविता सुनाने से पहले अपने काव्य गुरु डॉ. सत्यव्रत शर्मा ’अजेय’ की रचना रावण –प्रतिनारायण का एक अंश सुनाया। जिसे सुनने के बाद रावण के पात्र की जो व्याख्या कविता में की गई थी, उससे उठे प्रश्नों से एक चर्चा आरम्भ हो गई। कविता में रावण के व्यक्तित्व के उस पक्ष को स्पष्ट किया गया है जिससे जन साधारण परिचित नहीं हैं। पंद्रह-बीस मिनट तक चर्चा के चलने के बाद संदीप जी से निवेदन किया गया कि आने वाले कार्यक्रमों में एक बार वह इसी विषय पर विस्तार से अपना एक शोध पत्र पढ़ें। संदीप जी की कविता "आएगी वह ज़रूर आएगी" जीवन के विषय पर ही थी। डॉ. रत्नाकर नराले जो आज आमन्त्रित अतिथि कवि थे ने राग भैरवी में एक भजन सुनाया। भजन में भगवान से प्रश्न किया गया था - प्रभु बतायो दुखी दुनिया का खेला क्यों रचाया। अंत में लता पाण्डे जी की कविता बिहार की राजनीति में आते आशावादी परिवर्तन पर आधारित थी, कविता का शीर्षक था "भोर में"। लता जी की कविता भी हमेशा गागर में सागर के भाव भर कर लाती है और यह कविता भी अलग नहीं थी।
कुछ साहित्य प्रेमी भी वहाँ उपस्थित थे। जैसे कि श्री अटल पाण्डे, श्री सुरेश पाण्डे और उनकी धर्म पत्नी, श्रीमती नरगिस फैज़ल। श्री संजीव अग्रवाल ने एक काव्यमय चुटकला सुनाकर वातावरण को हास्यमय कर दिया।
कार्यक्रम में वास्तविक कवि गोष्ठी का मैत्रीपूर्ण वातावरण और अनौपचारिकता छायी रही। सर्दी होने के कारण चाय के प्याले खाली होते रहे। आज की कवि गोष्ठी का अल्पाहार डॉ. शैलजा सक्सेना के सौजन्य से था, जिसका आनन्द सभी ने भरपूर उठाया।
हिन्दी राइटर्स गिल्ड कैनेडा की अग्रणी साहित्यिक संस्था है जिसका उद्देश्य आप्रवासी प्ररिप्रेक्ष्य में स्थानीय साहित्य लेखन को बढ़ावा देना है। समय समय पर सेमिनार, साहित्य लेखन कार्याशालाएँ, विद्वानों के भाषण और उच्च स्तरीय सम्मेलन भी हिन्दी राइटर्स गिल्ड द्वारा आयोजित किए जाते हैं। अक्तूबर के माह में हिन्दी राइटर्स गिल्ड द्वारा आयोजित वार्षिक सम्मेलन "दैनिक जीवन में साहित्य" बहुत सफल रहा। हिन्दी राइटर्स गिल्ड का मासिक कार्यक्रम "आइए, हिन्दी साहित्य की बात करें" ब्रैम्पटन लाइब्रेरी के साथा साझेदारी में आयोजित किया जाता है और यह कार्यक्रम सार्वजनिक है यानि सभी इसमें आमन्त्रित हैं। अधिक जानकारी के लिए फोन करें : सुमन कुमार घई 416 286 3249 या 416 917 7045 या ई-मेल करें : hindiwg@gmail.com

Saturday, October 30, 2010

'दैनिक जीवन में साहित्य' - हिन्दी राइटर्स गिल्ड का दूसरा वार्षिक महोत्सव - डॉ. रेणुका शर्मा

पोर्ट क्रेडिट मिसिसागा ९ अक्टूबर : पोर्ट क्रेडिट सैकण्डरी स्कूल में 'हिन्दी राइटर्स गिल्ड' के तत्वावधान में 'दैनिक जीवन में साहित्य' की संगीतमयी यात्रा, लोकगीत और काव्य नाटक द्वारा की गई। कार्यक्रम का संचालन श्री सुमन घई के कुशल नेतृत्व में हुआ। सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ मानोशी चटर्जी की सुरीली आवाज़ में सरस्वती वंदना से हुआ। ऋषिका द्वारा लय में मनोरम भरतनाट्यम की प्रस्तुति के बाद डॉ. शैलजा सक्सेना ने उत्साहपूर्ण सरल शब्दावली में हिन्दी भाषा के इतिहास के आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल और आधुनिककाल का परिचय दिया। कार्यक्रम की विशेषता यह थी कि हिन्दी भाषा के इतिहास के चारों कालों से एक-एक प्रमुख रचना का मधुर गान मानोशी चटर्जी ने किया। गीतों का आनंद सभी श्रोतागण लेते दिखाई दिए। प्रसिद्ध 'गरबा' के सामूहिक नृत्य से सांस्कृतिक संध्या में और निखार आ गया । लोक गीत तो संस्कृति की जान होते हैं। कार्यक्रम में रोचक लोकगीत सुनकर अपने अंचल की यादें ताज़ा हो गईं। पूरे भारत की छटा बिखेरता हुआ कार्यक्रम आगे बढ़ा।
मिसिसागा की मेयर आदरणीया हेज़ल मैक्कैलियन कार्यक्रम आरम्भ होने से पहले ही हिन्दी राइटर्स गिल्ड को प्रोत्साहित करने के लिए आईं। कार्यक्रम में सांसद माननीय श्री नवदीप सिंह बैंस ने अपनी उपस्थिति से सभा का मान बढ़ाया उन्होंने सबको हिन्दी भाषा को लोकप्रिय बनाने और बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया और इस दिशा में 'हिन्दी राइटर्स गिल्ड' की प्रगति की सराहना की। साथ ही उन्होंने अपने कर कमलों से श्री प्राण किरतानी जी के सुगम संगीत की सी. डी. "भोर" का भी लोकार्पण किया।
सांस्कृतिक संध्या की सफलता की चरम परिणति धर्मवीर भारती के प्रसिद्ध काव्य नाटक 'अंधा युग' के सफल मंचन से हुई। भारतीजी का 'अंधा युग' महाभारत के युद्ध के अठारहवें या अंतिम दिवस की कथा है जब पूरा नगर महायुद्ध की त्रासदी से अभिशप्त हो जल रहा है गिद्ध नर कंकालों पर ऐसे मंडरा रहे हैं मानो अंधे युग की परछाई धरती पर छा रही हो। संजय से सब हाल सुनकर कौरव पक्ष अपने संबधियों की मृत्यु से तप्त और दुखी हैं। यहां तक कि माता गांधारी ने भी बदले की आग में जल रहे अश्वत्थामा द्वारा ब्रह्मास्त्र चलाने पर उसे नहीं कोसा अपितु इस युद्ध के लिए कृष्ण को ही दोषी ठहराया और पुत्र वियोग में त्रस्त हो कृष्ण को शाप दे दिया। युद्ध में पांडवों की जीत के रूप में सच्चाई की जीत को प्रतिध्वनित किया है। कृष्ण के अंत से द्वापर युग के अंत और अंधे युग या आधुनिक युग का प्रारंभ होता है। कृष्ण इस नाटक के केन्द्र हैं जो सार रूप में बताते हैं कि बुरे से बुरे वक्त में भी शुद्धता, नीति और सच्चाई का रास्ता मनुष्य के पास है, जो हमें चेताते हैं तथा सर्वनाश से पहले सच और न्याय पर चलने के कई मौके देते हैं। इस दृष्टि से 'अंधा युग' आधुनिक युग का प्रमुख शक्तिशाली नाटक है जो हमें राजनीति में हिंसा, द्वेष, स्वार्थ और पद लिप्सा की लड़ाई के पर्याय रूप ढूंढने और सर्वनाश से बचने के उपाय समझाता है।
जिन्होंने नाटक के प्रमुख पात्रों का अभिनय किया, वे हैं: प्रहरी: विकास सक्सेना महेन्द्र भंडारी, विदुर: विजय विक्रांत, कृतवर्मा: पाराशर गौड़, कृपाचार्य: सरन घई, संजय: नवीन पांडे, धृतराष्ट्र: सुरेश पांडे, गांधारी: डॉ. शैलजा सक्सेना, अश्वत्थामा: विद्याभूषण धर, नैपथ्य स्वर: व्यास: अटल पांडे, कृष्ण: सरन घई, गायन: भुवनेश्वरी पांडे, इन्दिरा वर्मा और लता पांडे, संगीतकार: प्राण किरतानी, संगीतबद्ध: सचिन शर्मा, प्रोडक्शन: विजय विक्रांत, निर्देशन: डॉ. शैलजा सक्सेना, परामर्श: सरन घई।

सभी पात्रों ने अपनी अभिनय प्रतिभा का अच्छा परिचय दिया या यूं कहें कि भारतीजी के 'अंधा युग' नाटक के साथ न्याय किया है क्योंकि इतनी बड़ी व गंभीर रचना के अभिनय का मंचन करना महत्वपूर्ण बात है। संवाद ओजपूर्ण एवं स्पष्ट थे, वेशभूषा एवं वातावरण नाटक के अनुरूप थे। मुख्य बात है कि अपने व्यावसायिक व अन्य ज़रूरी कार्यों के बीच अपनी रुचि को परिष्कृत करने और साधन की सीमा होते हुए भी लोगों तक ज्ञान नीति के तथ्य सुगमता से पहुँचाने के लिए समय निकाल पाना सराहनीय है। अंत में सबने स्वादिष्ट जलपान का मिलजुलकर आनंद लिया और इस सांस्कृतिक संध्या का समापन हुआ।
'अंधा युग' के गंभीर विषय को सरलता से लोगों तक पहुँचाने के लिए 'हिन्दी राइटर्स गिल्ड' के संस्थापक श्री विजय विक्रांत, श्री सुमन घई तथा डॉ. शैलजा सक्सेना को बधाई। 'हिन्दी राइटर्स गिल्ड' का मुख्य उद्देश्य आम जनता को हिन्दी साहित्य से परिचित कराना है। वर्कशॉप द्वारा लोगों को इन्टरनेट और हिन्दी भाषा का कम्प्युटर ज्ञान कराने के साथ ही हिन्दी में लिखने के लिए प्रेरित करना तथा प्रिटिंग के लिए मार्गदर्शन देना है। आशा है कि 'हिन्दी राइटर्स गिल्ड' इसी तरह भविष्य में भी पूरे जोश से हिन्दी भाषा को प्रशस्त करने की दिशा में अग्रसर रहेगा।