Vision Statement
Guidance in the art of Hindi writing and Hindi literature
Facilitation of computer literacy in Hindi writing
Facilitation of Editing and publication of Hindi books
Translation and publication of non-Hindi literature in Hindi
Arranging lectures by eminent laureates on Hindi literature , business, environment and philosophy
Holding book exhibitions, public seminars and conferences to promote Hindi language and literature
Provide translation services for hospitals and other institutions for individuals whose mother tongue is not English
Liaison and collaboration with charitable organizations, non-profit community, government agencies, educational institutions in development of programs relating to Hindi language and Hindi literature
Helping immigrants assimilate into Canadian society by developing Hindi Indo-Canadian literature in Canadian perspective
Maintaining Hindi web-site for E-magazine and E-library for members
हिन्दी राइटर्स गिल्ड द्वारा टोरांटो में आयोजित कवि-गोष्ठी को सुनें
२७ सितम्बर, २००८ – ओकविल (ओण्टेरियो, कैनेडा) की ग्लैन ऐबे लाइब्रेरी के सभागार में हिन्दी राइटर्स गिल्ड की पहली कार्यशाला और काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी के प्रायोजक (Sponser) पाराशर गौड़ थे। दोपहर के १.३० बजे के लगभग सभी साहित्यप्रेमी आ चुके थे किन्तु पाराशर गौड़ ट्रैफिक में उलझ गए तो कार्यक्रम कुछ देर उनकी प्रतीक्षा करने के बाद विजय विक्रान्त जी कार्यक्रम आरम्भ किया। सुमन घई ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड के भविष्य के कार्यक्रमों की सूचना दी। इतने में पाराशर जी पहुँच चुके थे। उन्होंने सरस्वती-दीप प्रज्ज्वलित किया और सभी उपस्थितजनों का स्वागत किया। इस कार्यक्रम और कार्यशाला की सूत्रधार डॉ. शैलजा सक्सेना थीं। उन्होंने इस काव्य-कार्यशाला का आरम्भ करते हुए स्थानीय साहित्यिक गतिविधियों की चर्चा की और “एक अच्छी कविता क्या है?” का प्रश्न उपस्थित रचनाकारों के सामने रखा। इस कार्यशाला का एक अंग यह भी था कि काव्य पाठ करने पहले कवि या कवयित्री इस प्रश्न का उत्तर दें। डॉ. शैलजा सक्सेना ने अपना प्रथम वक्तव्य समाप्त करते हुए आशा बर्मन को वन्दना गायन के लिए आमन्त्रित किया। आशा जी ने सोम ठाकुर द्वारा रचित “भाषा वन्दना” अपने मधुर स्वर में गाई।
जैसा कि ऊपर कहा गया है इस कार्यक्रम में सभी कवियों से कहा गया था कि वह अपनी कविता पाठ से पहले कुछ शब्दों में बताएँ कि वह कविता क्यों लिखते हैं और उनके अनुसार कविता की परिभाषा क्या है। शैलजा जी ने हर कवि की परिभाषा और कविता के भाव को बहुत कुशलता के साथ काव्य-शास्त्रियों की परिभाषाओं से जोड़ा। इस काव्य-गोष्ठी और कार्यशाला में भाग लेने वाले कवियों के नाम इस प्रकार हैं –
आशा बर्मन, सरण घई, संदीप त्यागी, राकेश तिवारी, मानोशी चटर्जी, सविता अग्रवाल, ऋतु बहादुर, जसबीर ’कालरवि’, लता पाण्डे, भगवतशरण श्रीवास्तव, प्रीति धामने, सुमन कुमार घई, विजय विक्रान्त, उमा दत्त दूबे, पाराशर गौड़ और डॉ. शैलजा सक्सेना।
कार्यक्रम लगभग साँय के ४.३० तक चला। इस काव्य-गोष्ठी की रचनाएँ सभी उत्तम कोटि की थीं। यह रचनाएँ और डॉ. शैलजा सक्सेना की “कविता की परिभाषा : काव्य-शास्त्रियों के शब्दों में” पाठक हिन्दी राइटर्स गिल्ड के ब्लॉग पर सुन सकते हैं।
इस कार्यक्रम की चित्रावली के लिए क्लिक करें और जो पन्ना खुले उस पर Slide show को चुनें।
हिन्दी ब्लॉग जगत में प्रवेश करने पर आप बधाई के पात्र हैं / आशा है की आप किसी न किसी रूप में मातृभाषा हिन्दी की श्री-वृद्धि में अपना योगदान करते रहेंगे!!! इच्छा है कि आपका यह ब्लॉग सफलता की नई-नई ऊँचाइयों को छुए!!!! स्वागतम्! लिखिए, खूब लिखिए!!!!!
शैलजा जी द्वारा प्रस्तुत बहुत ही सुन्दर गोष्ठी को सुना , यूँ कहिये कविता के बहुआयामी व्यक्तित्व के रस को पिया | आप लोग तो बहुत ही अच्छी मुहिम को लेकर चले हैं - कवितायें व्यक्ति की , वक्त की , समाज की तस्वीर हुआ करतीं हैं खुदाई तो तेरे हाथ है , बदल ले , ये कहाँ जंजीर हुआ करतीं हैं शुभकामनाओं के साथ
हिन्दी ब्लॉग जगत में प्रवेश करने पर आप बधाई के पात्र हैं / आशा है की आप किसी न किसी रूप में मातृभाषा हिन्दी की श्री-वृद्धि में अपना योगदान करते रहेंगे!!!
ReplyDeleteइच्छा है कि आपका यह ब्लॉग सफलता की नई-नई ऊँचाइयों को छुए!!!!
स्वागतम्!
लिखिए, खूब लिखिए!!!!!
प्राइमरी का मास्टर का पीछा करें
वाह,वाह! बधाई!
ReplyDeleteशैलजा जी द्वारा प्रस्तुत बहुत ही सुन्दर गोष्ठी को सुना , यूँ कहिये कविता के बहुआयामी व्यक्तित्व के रस को पिया | आप लोग तो बहुत ही अच्छी मुहिम को लेकर चले हैं -
ReplyDeleteकवितायें व्यक्ति की , वक्त की , समाज की तस्वीर हुआ करतीं हैं
खुदाई तो तेरे हाथ है , बदल ले , ये कहाँ जंजीर हुआ करतीं हैं
शुभकामनाओं के साथ