Friday, December 5, 2008

हिन्दी राइटर्स गिल्ड _ लक्ष्य कथन और परिकल्पना






लक्ष्य कथन
कैनेडा और उत्तरी अमेरिका के जनसामान्य में हिन्दी भाषा एवं साहित्य के ज्ञान की वृद्धि करना और उसके प्रति अभिरुचि बढ़ाना; प्रवासी हिन्दी लेखकों की पुस्तकों के प्रकाशन और प्रचार-प्रसार में सहायता करना।

परिकल्पना
हिन्दी लेखन कला और हिन्दी साहित्य की शिक्षा
हिन्दी लेखन के लिए कम्प्यूटर ज्ञान की सुविधा
अहिन्दी-साहित्य का हिन्दी में अनुवाद
पुस्तकों के प्रकाशन और सम्पादन की सुविधा
विद्वानों द्वार हिन्दी साहित्य, व्यवसाय, पर्यावरण और दर्शन पर भाषणों का आयोजन
पुस्तक प्रदर्शनियों, जन-संगोष्ठियों और सम्मेलनों का हिन्दी भाषा और साहित्य के संवर्द्धन के लिए आयोजन
अस्पतालों और अन्य संस्थाओं और जन-सामान्य के लिए हिन्दी अनुवाद की सुविधा जिनकी मातृ-भाषा इंग्लिश नहीं है
लाभनिर्पेक्ष संस्थाओं, लाभनिर्पेक्ष सामाजिक, सरकारी संस्थानों और शिक्षण संस्थाओं के साथ हिन्दी पुस्तकों, हिन्दी लेखकों और हिन्दी साहित्य से संबन्धित कार्यों में सहयोग और साझेदारी
कनाडा के समाज में प्रवासी भारतीयों का, कनाडा के दृष्टिकोण से हिन्दी में लिखित “भारतीय-कनेडीयन साहित्य’ द्वारा समन्वय
हिन्दी लेखकों और विद्वानों के लिए हिंदी की ई-पत्रिका और ई-पुस्तकालय का हिन्दी वेबसाइट द्वारा आयोजन

3 comments:

  1. शुभ बुद्धि से लिया गया संकल्प व्यर्थ नहीं जाता ।

    समस्त शुभकामनाओं के साथ ….

    Comment by अनूप भार्गव — September 4, 2008 @ 10:38 am

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  2. bharat se door usaki aatmaa main jagah banaate aapake prayaason ke liye badhaai. -------------kamjor lagataa rahaa main sabhi ko,bharam sabakaa dekho banaa hai abhi tak.------to kar dikhaayen aisaa kuchh hindi kavitaa ko lekar.namaskaar,mere priya sabhi saathhiyon ko.

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  3. हिन्दी राइटर्स गिल्ड पर चहल-पहल देख कर अच्छा लग रहा है। कल कवि-गोष्ठी सुनकर बहुत अच्छा लगा।
    पिछले महीने सम्पन्न हिन्दी कहानी कार्यशाला पर क्या कोई रिपोर्ट प्रकाशित होने वाला है ? उत्सुकता बनी हुई है।
    मेरे ख्याल में किसी विषय पर कोई परिचर्चा चले तो सक्रियता बनी रहेगी। विषय कोई भी हो सकता है - हिन्दी कहानी और कविता की वर्तमान स्थिति, प्रवासी और भारतीय साहित्य, वर्तमान लेखकीय संकट, कहानी और कविता में नये प्रयोग, चलन (Trends) आदि...
    सीधा संवाद साहित्य को संवर्धित करने में सहायक होता है और वह परिचर्चा के माध्यम से सम्भव है। इसको मेरा सुझाव मात्र मानें।
    सादर,

    अमरेन्द्र

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