Thursday, February 14, 2013

हिन्दी राइटर्स गिल्ड की काव्य गोष्ठी में जसबीर कालरवी के "अमृत" पर चर्चा

फरवरी १०, २०१३ – आज हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने अपनी मासिक गोष्ठी में कैनेडा के लेखक जसवीर कालरवी के उपन्यास "अमृत" पर चर्चा की। जसबीर का यह उपन्यास पहले पंजाबी में प्रकाशित हुआ था। इसका हिन्दी अनुवाद सुमन कुमार घई (हि.रा.गि.) ने २०११ में किया और उर्दू अनुवाद तलत ज़ारा ने पिछले वर्ष किया। हिन्दी में अनूदित अमृत का प्रकाशन और लोकार्पण हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने २०११ के वार्षिकोत्सव में किया था परन्तु उस समय इस उपन्यास पर चर्चा नहीं हो सकी थी। उर्दू संस्करण का प्रकाशन और लोकार्पण लाहौर (पाकिस्तान) में हुआ था। इस दिन पुस्तक पर चर्चा करने के लिए हिन्दी राइटर्स गिल्ड और तलत ज़ारा के अतिरिक्त पंजाबी साहित्यिक संस्था "कलम" के कुछ वक्ता/लेखक भी आए थे।
गोष्ठी के प्रथम भाग में काव्य पाठ था जिसका आरम्भ पारंपरिक रूप से इंद्रा वर्मा ने स्वरचित सरस्वती वंदना से किया। इसके बाद डॉ. शैलजा सक्सेना ने कैनेडा में हिन्दी साहित्य जगत के वयोवृद्ध सदस्य डॉ. ओंकार प्रसाद द्विवेदी के स्वर्गावस के बारे में सूचना दी और सभी ने मौन धार कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
इस गोष्ठी में न केवल हिन्दी की बल्कि उर्दू और पंजाबी की भी श्रेष्ठतर रचनाएँ सुनने को मिलीं। गोष्ठी के संचालन का कार्यभार डॉ. शैलजा सक्सेना ने उठाया और उन्होंने कवियों/कवयित्रियों से अनुनय किया कि अगर रचनाएँ आजकल समाज के घटनाक्रम के बारे में हो तो बेहतर होगा। कविता सुनाने वालों में थे पूनम कासलीवाल, लता पांडे, सविता अग्रवाल, कृष्णा वर्मा, पूनम चंद्रा "मनु", कैलाश महंत, सुमन कुमार घई, प्यारा सिंह (कलम), सुरजीत कौर (कलम), तलत ज़ारा, जसबीर कालरवी, मीना चोपड़ा, सरन घई, राज महेश्वरी, शैलजा सक्सेना, गोपाल बघेल, नीरज केसवानी और प्रमिला भार्गव थे। श्रोताओं ने कविताओं को बहुत सराहा।
अल्पाहार के छोटे अंतराल के बाद "अमृत" की चर्चा आरम्भ हुई। जसबीर कालरवी ने इस सत्र का आरम्भ अनुवादकों और सहायकों को सम्मानित करते स्मृति फलक और शॉल भेंट किए। हिन्दी अनुवाद के लिए सुमन कुमार घई, उर्दू अनुवाद के लिए तलत ज़ारा और उनकी सहायता करने के लिए सुरजीत कौर को सम्मानित किया गया। जसबीर ने अनुवादकों को धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्हें बहुत खुशी है कि उनकी पुस्तक अनुवाद करने वालों ने अपनी इच्छा से अनुवाद किया और उनकी पुस्तक को अन्य भाषाओं के पाठकों तक पहुँचाया।
तलत ज़ारा क्योंकि पंजाबी या हिन्दी पढ़ नहीं सकतीं तो उन्होंने पुस्तक को पहले उर्दू लिपी में फोन पर सुरजीत कौर से सुनते हुए टाईप किया और बाद में अनुवाद किया। उन्होंने उपन्यास के बारे में बात करते हुए कहा कि यह एक आम नावल नहीं है। इसमें "अमृत" एक ऐसे आनन्द को पाने के लिए प्रयास कर रहा है जो उसे न तो विभिन्न सभ्यताओं के दार्शनिकों से मिलता है, न ही विभिन्न धर्मों से और न ही समाज की रची हुई परंपराओं और संस्थानों से। यह कहानी उसका अंदरूनी सफ़र है और जो उसे अंत में उसी आनन्द की प्राप्ति करवाता है जिसे पाने के लिए वह दुनिया भर में भटका।

अगली वक्ता डॉ. इन्दु रायज़ादा थीं। उन्होंने इस उपन्यास पर लिखा अपना लेख पढ़ा। उपन्यास की कहानी का सारांश देते हुए उन्होंने उपन्यास में नायक की स्वयं से चल रही बहस की बात की जिसके उत्तर वह ग्रीक दार्शनिकों से लेकर, रूसी और पश्चिमी जगत के लेखकों के विचारों में खोजता है। उनके लेख में इस उपन्यास के अनेक पक्षों का विस्तृत विवेचन था। अंत में उन्होंने टिप्पणी की कि अगर "अमृत ने गीता पढ़ी होती तो शायद वह आत्महत्या की न सोचता"।
  शैलजा सक्सेना ने इसके पश्चात सुमन कुमार घई को पुस्तक के बारे में कुछ शब्द कहने के लिए बुलाया। सुमन ने अपनी अनुवाद प्रक्रिया से बात शुरू की। उन्होंने कहा कि अनुवाद करते हुए उन्होंने विशेष ध्यान रखा कि मौलिक उपन्यास की पंजाबी महक हिन्दी अनुवाद में नहीं खोनी चाहिए। उन्होंने उपन्यास की कुछ आरम्भिक पंक्तियों को पढ़ा जिनको पढ़ने के बाद उन्होंने रोमांचित हो इसका अनुवाद करने की ठानी थी। उन्होंने कहा कि यह उपन्यास नायक की बाह्य और आंतरिक दो समानान्तर चलने वाली यात्राएँ हैं जो उसे भारत से ऑस्ट्रेलिया और कैनेडा इत्यादि देशों से वापिस भारत ले आती हैं। वह अपने असंतोष का हल साहित्य, दर्शन, धर्म और सामाजिक रीतियों में नहीं खोज पाता और यात्रा के अंत में मिलने वाला उत्तर ही अमृत है। सुमन ने जसबीर के किए अध्ययन की छवि उसके उपन्यास में देखी। जसबीर का नायक जो स्वयं लेखक है और वह शायद जसबीर की बात को दोहराता है। लेखक ने केवल अध्यात्मिक जगत की समीक्षा नहीं कि उसने शिक्षा प्रणाली, राजनीति, साहित्य जगत और धार्मिक विसंगतियों को भी खंगाला है। उपन्यास एक पारंपरिक उपन्यास नहीं है परन्तु यह पाठक को सोचने के लिए मजबूर करता है और आत्मविश्लेषण की राह दिखाता है।
"कलम" के संस्थापक और अध्यक्ष प्यारा सिंह ने समीक्षक के दायित्व के बारे में कहा और कहा कि समीक्षक को केवल पुस्तक के कथानक की बात करनी चाहिए और अपने पूर्वाग्रहों को अलग रखते हुए लेखक की कही बात और उनके पात्रों में लेखक को नहीं खोजना चाहिए।
इसके बाद शैलजा सक्सेना ने जसबीर कालरवी को इस उपन्यास की रचना प्रक्रिया के बारे में बोलने के लिए कहा। जसबीर ने कहा कि इस उपन्यास का जन्म कुछ प्रश्नों से हुआ। उन्होंने कहा कि बच्चे का बचपन से ही अनुकूलन (कंडीश्निंग) शुरू हो जाता है और कई बार वह बच्चा व्यस्क होकर इस प्रक्रिया पर प्रश्न करने लगता है। अमृत का नायक भी यही कर रहा है। कोई धर्म आत्मा और परमात्मा को अलग-अलग मानता है, कोई केवल आत्मा को ही मानता और कोई कहता है कि न आत्मा और न परमात्मा – तो फिर सच क्या है। यह स्वयं चल रही बहस अमृत का मानसिक द्वंद्व है।
अंत में शैलजा जी ने पंजाबी साहित्य के प्रसिद्ध वयोवृद्ध आलोचक बलराज चीमा जी को आमंत्रित किया। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि इस उत्कृष्ट साहित्य मंच पर हिन्दी, पंजाबी और उर्दू की रचनाएँ सुनने को मिलीं और उन्होंने कहा कि यह त्रिवेणी बहती रहनी चाहिए। उन्होंने अनुवाद प्रक्रिया के बारे में कहा कि अनुवादक को तलवार की धार पर चलते हुए एक-एक शब्द पर विचार करना पड़ता है। अंत में उन्होंने सभी को इस सफल कार्यक्रम के लिए बधाई दी और सभा का विसर्जन हुआ।
हिन्दी राइटर्स गिल्ड की अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें : 416-917-7045 या ई-मेल करें :
hindiwg@gmail.com



Saturday, November 3, 2012

साहित्यिक इन्द्रधनुष : चौथा वार्षिकोत्सव

 
जीटीए पर छाया साहित्यिक इंद्रधनुष
हिन्दी राइटर्स गिल्ड का चौथा वार्षिकोत्सव सफलतापूर्वक संपन्न
 
 
मिसिसागा, अक्तूबर २७, २०१२- आज दोपहर के बाद तीन बजे पोर्ट क्रेडिट सैकेंडरी स्कूल के सभागार में हिन्दी राइटर्स गिल्ड का चौथा वार्षिकोत्सव आयोजित किया गया। हर वर्ष इस उत्सव के लिए एक मुख्य विषय चुना जाता है और पूरा कार्यक्रम उस पर आधारित होता है। इस वर्ष के कार्यक्रम में साहित्य की विभिन्न विधाओं को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया था।
       कार्यक्रम का आरम्भ मानोशी चटर्जी द्वारा सुमधुर सरस्वती वंदना से हुआ। संचालिका लता पांडे ने दर्शकों, मुख्य अतिथियों और अन्य गणमान्य लोगों का स्वागत करते हुए हिन्दी राइटर्स गिल्ड की गत वर्ष की मुख्य गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री बिधु शेखर झा, जो कि न केवल मैनीटोबा के एमपीपी हैं बल्कि एक सिद्धहस्त लेखक और कवि भी हैं, का मंच पर सम्मान किया गया। बिधु जी ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड के प्रयासों की सराहना करते हुए जीवन में भाषा के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हिन्दी में संकीर्ण विचारधारा को छोड़ कर विदेशी भाषा के शब्दों भी अपनाना चाहिए ताकि भाषा का विकास होता रहे परन्तु साथ ही बलपूर्वक कहा कि भाषा को प्रदूषित मत होनें दें। उदाहरण देते हुए "इंटरनेट" शब्द को स्वीकार और बात-बात में "बिकॉज़" को अस्वीकार करने को कहा। कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण "रश्मिरथी" पर आधारित नाटक पर बोलते हुए उन्होंने स्व. रामधारी सिंह "दिनकर" के साथ कुछ व्यक्तिगत अनुभव बताए और रश्मिरथी के प्रति प्रेम को प्रमाणित करते हुए उन्होंने इस खंडकाव्य में से कुछ अंश सुनाए।
       कार्यक्रम में हिन्दी के लिए समर्पित और निःस्वार्थ सहायता करने वालों, एमपीपी दीपिका दामेर्ला, हिन्दी टाइम्स मीडिया के प्रमुख राकेश तिवारी और स्टार बज़्ज़ मीडिया ग्रुप के प्रमुख भूपिन्दर विरदी को सम्मानित किया गया। दीपिका जी ने भारत में आधुनिक परिवेश में हिन्दी को निम्नवर्ग की भाषा की अवधारणा की निंदा करते हुए कहा कि हमें इस मनोवृत्ति के प्रति सजग रहना होगा और उन्होंने आशा व्यक्त की कि वह हिन्दी राइटर्स गिल्ड के साथ जुड़ी रहेंगी। भूपिन्दर जी ने कुछ ही शब्दों में हिन्दी राइटर्स गिल्ड की सराहना की। राकेश तिवारी जी ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड के संगठन में समानता के महत्व की सराहना की और कहा कि वह हर प्रयास से संस्था की सहायता के लिए तैयार हैं।
       अगले चरण में कैनेडा से प्रकाशित होने वाली अंतरराष्ट्रीय हिन्दी साहित्य की त्रैमासिक पत्रिका हिन्दी चेतना के संस्थापक और मुख्य संपादक श्री श्याम त्रिपाठी जी को सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया गया। यह सम्मान हिन्दी की निःस्वार्थ सेवा करने वालों को प्रदान किया जाता है और त्रिपाठी जी इसके पाने वाले दूसरे व्यक्ति हैं।    कार्यक्रम के साहित्यिक चरण का संचालन श्रीमती भुवनेश्वरी पांडे ने किया। टोरोंटो में पहली बार किसी मंच से दो लघुकथाओं पढ़ी गयीं। पहली लघुअकथा "ऊँचाई" रामेश्वर काम्बोज "हिमांशु" जी की थी और पढ़ने वाली थीं डॉ. इंदु रायज़ादा; दूसरी लघुकथा सुमन कुमार घई की "विवशता" थी और इसे पढ़ा मीना चोपड़ा ने। तीन हास्य-व्यंग्य के कवियों सुरेन्द्र शर्मा, काका हाथरसी और ओम प्रकाश आदित्य की रचनाओं का पाठ क्रमशः निर्मल सिद्धू, पाराशर गौड़ और संजीव अग्रवाल ने किया। इसके पश्चात बच्चों ने अपनी संगीत कला का प्रदर्शन करते हुए मंच सँभाला। उमंग सक्सेना ने बाँसुरी का शास्त्रीय वादन किया और अर्जुन पांडे ने अपनी कला तबले पर दिखलायी। कार्यक्रम के प्रथम भाग की अंतिम प्रस्तुति में मानोशी चटर्जी ने गीतांजली के दो अंशों का हिन्दी अनुवाद का भावपूर्ण काव्यपाठ किया।
       एक छोटे से अल्पाहार के अल्पविराम के बाद दर्शक सभागार में फिर से एकत्रित हुए और मानोशी चर्टजी ने रश्मिरथी के संदर्भ के बारे में बतलाया। नाटक का मंचन बहुत भावपूर्ण और कुशलता से हुआ। इस नाटक का निर्देशन डॉ. शैलजा सक्सेना ने किया था। एक घंटे इस नाटक में पता ही नहीं चला कि समय कम बीत गया। इसके बाद सभा के विसर्जन में धन्यवाद ज्ञापन विजय विक्रांत जी ने दिया। अंत में प्रीतिभोज हुआ और जिसके दौरान भी लोगों में नाटक की वाह वाह कर रहे थे। 

Sunday, September 30, 2012

Friday, May 4, 2012

हिन्दी राइटर्स गिल्ड का आभार दिवस



अप्रैल २२, २०१२- ब्रैम्पटन- कैनेडा की अग्रणी हिन्दी साहित्य की संस्था, हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने आज चंग्कूज़ी लाइब्रेरी के सभागार में आभार दिवस का आयोजन किया। किसी भी संस्था के सफल होने के लिए उसे न केवल सदस्यों की सहायता की आवश्यक्ता होती है बल्कि सामाजिक, व्यवसायिक और सरकारी तंत्र की सहायता की आवश्यकता होती है। इसी सहायता को मान्यता देने के लिए और आभार प्रकट करने के लिए इस सभा का आयोजन किया गया था।
       कार्यक्रम का आरम्भ दोपहर के २:३० पर जलपान से आरम्भ हुआ। साठ से अधिक उपस्थित लोगों में भारतीय काउंसलावास से सुश्री चरणदासी (हैड ऑफ़ चांसरी), श्री सतीश ठक्कर (प्रेसिडेंट इंडो कैनेडा चैंबर ऑफ़ कॉमर्स, एक्सैलसियर फ़ायनैंशियल ग्रुप), श्री जितेन्द्र भान (प्रेसिडेंट शारिका फाउंडेशन), श्री राज कुमार शर्मा (अध्यक्ष, हिन्दू लर्निंग इंस्टिच्यूट), ऐंजी मार्केज़ (ओंटेरियो ट्रिलियम फाउंडेशन) और दीपिका दामेर्ला (एमपीपी, मिसिसागा ईस्ट कुक्सविल) की प्रतिनिधि सुश्री ऐन आर्यदासा उपस्थित थीं। कई गणमान्य व्यवसायिक भी वहाँ उपस्थित थे जिन्होंने समय-समय पर हिन्दी राइटर्स गिल्ड की आर्थिक सहायता की है।
       कार्यक्रम का आरम्भ श्रीमती तारा वार्ष्णेय के भजन गायन से आरम्भ हुआ। डॉ. शैलजा सक्सेना ने अतिथियों का स्वागत करते हुए हिन्दी राइटर्स गिल्ड का परिचय दिया और उपस्थित जनों को पॉवर प्वाइंट की संक्षिप्त प्रस्तुति से अभी तक हुए कार्यक्रमों के चित्र दिखाए। शैलजा जी ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड के विभिन्न उद्देश्यों और साहित्य की विभिन्न विधाओं में किए जा रहे प्रयत्नों के बारे में बताते हुए डॉ. धर्मवीर भारती के प्रसिद्ध काव्य नाटक "अंधायुग" की वीडियो दिखाई। यह नाटक हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने अपने २०१० के वार्षिक कार्यक्रम में और बाद में इस्कॉन के अनुरोध पर उनके कार्यक्रम में मंचित किया था। डॉ. शैलजा ने कहा कि जिस उत्साह से संस्था को समाज का समर्थन मिल रहा है, वह दिन दूर नहीं जब हम टोरोंटो में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन कर पायेंगे। उन्होंने भारतीय काउंसुलावास का धन्यवाद भी किया, जिससे हिन्दी राइटर्स गिल्ड को समर्थन और सहायता मिल रही है। इसी वर्ष भारतीय काउंसुलावास ने विश्व हिन्दी दिवस समागम का आयोजन हिन्दी राइटर्स गिल्ड के सहयोग से किया था और गिल्ड के होली मिलन उत्सव पर बच्चों को भेंट में दी गई पुस्तकें भी भारतीय काउंसुलावास ने ही दी थीं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह सहयोग न केवल बना रहेगा बल्कि और भी बढ़ेगा।
       डॉ. शैलजा सक्सेना ने इंडो कैनेडा चैंबर के अध्यक्ष श्री सतीश ठक्कर को और चैम्बर को आभार प्रकट किया जिनसे अब सहयोग बढ़ रहा है। साहित्यकारों को अगर व्यवसाय का समर्थन मिल जाए तो साहस बढ़ जाता है। ऐसे ही राजस्थान एसोसिएशन ऑफ़ नॉर्थ अमेरिका के प्रति आभार प्रकट करते हुए शैलजा जी ने न केवल योगेश शर्मा जी (प्रेसिडेंट, राना) की प्रशंसा की बल्कि उनके कुछ सक्रिय सदस्यों जैसे श्री महेंद्र भंडारी और सरन घई (सरन घई तो गिल्ड के भी सदस्य हैं) की सराहना की जो हिन्दी राइटर्स गिल्ड की सहायता कर रहे हैं। पिछले वार्षिक कार्यक्रम में शारिका फाउंडेशन, जो भारतीय कश्मीरियों की संस्था है, के साथ भी सक्रिय सहयोग के प्रति भी आभार प्रकट किया गया। शारिका फाउंडेशन ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड के २०११ के वार्षिक कार्यक्रम में नाटक मंचन का आयोजन किया था। डॉ. शैलजा सक्सेना ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड की ओर से "हिन्दी टाइम्स" और "अपना रेडियो बॉलीवुड बीट्स" के प्रकाशक और प्रसारक श्री राकेश तिवारी और "स्टार बज़्ज़" के प्रकाशक और "शहनाई" रेडियो कार्यक्रम के प्रसारक श्री भूपिन्दर विरदी और श्रीमती मीना चोपड़ा का धन्यवाद किया जिन्होंने हिन्दी राइटर्स गिल्ड की सदा और बिना कहे सहायता की है।
       आमंत्रित अतिथियों में से सुश्री चरणदासी जी हिन्दी भाषा के महत्व की बात करते हुए कहा कि भारतीय कांसुलावास हिन्दी राइटर्स गिल्ड के प्रयत्नों की सराहना करता है। उन्होंने भी कहा कि कैनेडा अब अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन के लिए तैयार है और इस पर विचार करना चाहिए। ऐन आर्यदासा ने एमपीपी दीपिका दामेर्ला का संदेश पढ़कर सुनाया और हिन्दी राइटर्स गिल्ड को एक प्रशस्ति पत्र भेंट किया। हिन्दी राइटर्स गिल्ड पहली हिन्दी संस्था है जिसे ओंटेरियो ट्रिलियम फाउंडेशन से अनुदान मिला है। फाउंडेशन की प्रबंधक ऐंजी मार्केज़ ने कहा कि अनुदान का सही उपयोग देखकर अच्छा लगता है और उन्होंने हिन्दी राइटर्स गिल्ड को बधाई दी।
इंडो कैनेडा चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष श्री सतीश ठक्कर ने बधाई देते हुए कहा कि हिन्दी राइटर्स गिल्ड मान्यताप्राप्त चैरिटेबल संस्था है, इसलिए भविष्य में व्यवसायिक सहयोग मिलने में सुविधा होगी। उन्होंने गिल्ड को आश्वासन दिलाते हुए कहा कि भविष्य में भी चैंबर गिल्ड सहायता करने के लिए तत्पर रहेगा। शारिका फाउंडेशन के अध्यक्ष जितेन्द्र भान ने भी ऐसे ही भाव व्यक्त किये। उन्होंने अपनी पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए बताया कि भारत में वह टी.वी. और फिल्म उद्योग से संबंधित रहे हैं और उन्हें अब आशा लग रही है कि कैनेडा से भी स्तरीय लेखन मिलने लगेगा जो छोटे और बड़े पर्दे तक पहुँच पाएगा। श्री राज कुमार शर्मा ने गिल्ड द्वारा हिन्दी प्रचार प्रसार की सराहना की और थोड़े समय में इतनी सफलता प्राप्त कर लेने पर बधाई दी। अंत में स्टार बज़्ज़ के प्रकाशक ने कहा कि वो तो सदा से ही हिन्दी राइटर्स गिल्ड के ही रहे हैं तो धन्यवाद किस बात का? उन्होंने भविष्य में भी सहायता का आश्वासन दिया। श्रीमती मीना चोपड़ा ने रेडियो शहनाई का प्रतिनिधित्व करते हुए गिल्ड को बधाई दी।
       कार्यक्रम के अंतिम चरण में श्री विजय विक्रांत ने गिल्ड की वर्ष २०११ की वित्तीय रिपोर्ट प्रस्तुत की और बताया कि पिछले वार्षिक कार्यक्रम को निशुल्क रखने का जो साहस हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने किया उसके सफल आर्थिक परिणाम मिले। हिन्दी राइटर्स गिल्ड के वैसे तो लगभग सभी सदस्य सक्रिय सहायता करते हैं परन्तु श्रीमती भुवनेश्वरी पांडे, श्रीमती कृष्णा वर्मा और श्रीमती सविता अग्रवाल के प्रयास सराहनीय हैं। इन तीनों को "परिचालन निदेशिका" (ऑपरेशन्ज़ डायरेक्टर) घोषित करते हुए हिन्दी राइटर्स गिल्ड की ओर से भेंट दी गई।
       कार्यक्रम के अंत में भारत के कुछ प्रतिष्ठित कवियों के काव्य पाठ की वीडियो प्रस्तुति की गई, जिसे उपस्थित लोगों ने बहुत सराहा। उन्होंने हिन्दी राइटर्स गिल्ड द्वारा आधुनिक तकनीकी के उपयोग की भी प्रशंसा की।

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Sunday, March 25, 2012

हिन्दी राइटर्स गिल्ड का होली मिलन उत्सव २०१२



१० मार्च, २०१२ को दोपहर के बाद ओकविल (ओंटेरियो, कैनेडा) के वैष्णोदेवी मंदिर के सभागार में हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने होली मिलन उत्सव धूमधाम से मनाया। अपराह्न में २ बजे से आरम्भ होकर संध्या के ७ बजे तक यह कार्यक्रम चला।दो बजे से लोग जुटना शुरू हो गए और अतिथियों का स्वागत बहुत उत्साह, प्रेम और गुलाल से किया गया। ठंडाई और नाना प्रकार के पकवानों से मेज़ भरी थी। हरेक आने वाला परिवार कुछ न कुछ खाने के लिए ला रहा था। दो से तीन के बीच खाना पीना, गुलाल और होली मिलन चलता रहा और तीन बजे मंच पर बच्चों का कार्यक्रम आरम्भ हुआ और मंच का संचालन विद्याभूषण धर ने संभाला। कार्यक्रम औपचारिक न होकर पारिवारिक अधिक था – जैसा कि होली के उत्सव में होना ही चाहिए। हिन्दी राइटर्स गिल्ड का यह चौथा होली मिलन उत्सव था और परंपरा के अनुसार यह दिवस मुख्यतः बच्चों की प्रस्तुतियों के लिए निश्चित था।
बच्चों ने नृत्य, वाद्य-वादन, गीत, कविता और श्लोक-मंत्रों के उच्चारण से दर्शकों को प्रभावित किया और यह लगा कि हमारी पीढ़ी को चिंता की आवश्यकता नहीं, संस्कृति का अनुकरण करने के लिए अगली पीढ़ी इस भूमि पर रहते हुए भी तैयार हो रही है। जिन बच्चों ने मंच पर प्रस्तुति दी उन्हें प्रमाण पत्र दिए गए और होली मिलन उत्सव में आए सभी बच्चों को उपहार दिया गया।अगले चरण में व्यस्कों का लघु कार्यक्रम हुआ जिसमें, भुवनेश्वरी पांडे, प्राण किरतानी, मुकेश माखीजा, पारुल, आशा बर्मन ने गीतों से श्रोताओं को लुभाया। मानोशी चटर्जी के स्वरचित गीत का गायन किया। सुमन सरल सिन्हा ने फगवा और चैती सुनाई। आचार्य संदीप त्यागी, भगवत शरण श्रीवास्तव ’शरण’, गोपाल बघेल, सरन घई और डॉ. श्यामा सिंह, संजीव अग्रवाल ने होली संबंधित काव्य पाठ किया।