जनवरी २३, २०१० को दोपहर १.३० बजे से लक्ष्मी मंदिर, मिसिसागा के सभा गृह में हिन्दी राईटर्स गिल्ड के द्वारा 'प्रवासी जीवन' विषयक काव्य गोष्टी का आयोजन किया गया. गोष्टी में करीब ४० लोगों ने शिरकत की. कार्यक्रम का शुभारंभ चाय एवं जलपान से किया गया. जलपान के लिए स्वादिष्ट समोसे और जलेबी श्री../श्री.. के सौजन्य से उपलब्ध कराये गये.
गोष्टी की शुरुवात डॉ शैलजा सक्सेना के स्वागत भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जन्म दिवस पर नमन एवं भारत के गणतंत्र दिवस पर शुभकामनाएँ ज्ञापित की.
तत्पश्चात श्री संदीप त्यागी द्वारा सरस्वति वंदना की गई.
इसके उपरान्त कार्यक्रम संचालन श्री संदीप त्यागी द्वारा किया गया.
शुरुवात में पाठक वर्ग और फिर सदस्यों द्वारा काव्य पाठ किया गया. ३ घंटे तक चली इस काव्य गोष्टी का सबने खूब आनन्द उठाया.
श्री अनिल पुरोहित, श्री प्राण कीरतानी जी, श्री रत्नाकर नराले जी, श्रीमती आशा बर्मन, श्रीमती राज कश्यप, सुश्री हैली, श्री गणेश जी, श्री समीर लाल, श्री निर्मल सिद्धु, श्री राज माहेश्वरी जी, श्रीमती लता पान्डे, प्रो सरन घई जी, सरोजनी जोहर जी, श्री भगवत शरण श्रीवास्तव, श्री सुमन घई, श्रीमती मीना चौपड़ा, डॉ. शैलजा सक्सेना, संदीप त्यागी जी एवं श्री गोपाल जी ने काव्य पाठ किया. गोष्टी के प्रमुख अंश की झलक:
१.श्री अनिल पुरोहित
कहते हैं यह दुनिया एक गांव है
गैरों में अपनों को ढूंढने, मैं सात समुन्द्र पार चला...
२. श्री प्राण कीरतानी जी
मन मारी मझधार हूँ मैं
बेबस और लाचार हूँ मैं
३. श्री रत्नाकर नराले जी ने सुन्दर भजन राह भैरवी में प्रस्तुत किया:
प्रभु बताओ दुखी जहां का
अजीब खेला क्यूं है रचाया
ये शोर दुखियों की आत्मा का
कहो प्रभु जी क्यूं मचाया
४. श्रीमती आशा बर्मन ने लोक गीत सुनाया:
मैं टप टप रोऊं रे
तू मोहे बिदेशवा लायो..
न तो मेरे भाई बहन हैं
न हैं मेरी सखियां..
५.श्रीमती राज कश्यप
वही अपनी प्राचीन सभ्यता
छोड़ कर हम नाम कमाने आये
६. सुश्री हैली ने अंग्रेजी कविता का पाठ किया:
Dance while you are furious
Dance while you are serious
(Healing through movement)
८. श्री समीर लाल
वो देखो कौन बैठा, किस्मतों को बांचता है
उसे कैसे बतायें, उसका घर भी कांच का है.
९.श्री निर्मल सिद्धु
एक और भारत
मेरे देश की याद आने लगी है
मेरे दिल पर बदरी सी छाने लगी है.
१०. राज माहेश्वरी जी
हैं हम सभी प्रवासी
भटकते हैं कभी यहाँ कभी वहाँ
सबसे पहले गिरती दिखी चांदी जैसी बर्फ
मन में आया यह धनी देश
मगर जैसे ही चांदी हाथ मे आई, बन गई पानी
प्रवासी अनुभव कर हम तो हो गये प्रसन्न!!
११. श्रीमती लता पान्डे
मेरे जीवन के अनगढ काले शिलाखण्ड पर
क्रूर निअय्ति ने अनगिनत किये प्रहार
दुखों की छैनी से हर चोट थी बहुत गहरी
और थी धारदार......
१२. प्रो सरन घई जी
सैंय्या काहे बने प्रवासी
जबकि अपने देश में भी है इन्कम अच्छी खासी...
१३. श्रीमती सरोजनी जोहर जी
प्रबल समय का चक्र चला
हम भूल नहीं सकते माँ को
जब तक तन में प्राण है..
हम प्रवासी भारतीयों के दिल में
धड़कता हिन्दुस्तान है..
१४. श्री भगवत शरण श्रीवास्तव
लो एक बालक की कहानी कह रह उसकी जुबानी
सुभाष शिवा का जोश मुझमें, धमनियों में रवानी..
१५. श्री सुमन घई
न जाने आज क्यूं मन से उठी चित्कार क्यूँ
यह विलाप क्यूँ और यह अश्रुधार क्यूँ..
१६. श्रीमती मीना चौपड़ा
बारिश के खिलौने
दौड़ती नजरें जब
जब गुजरे समय की सड़क पर
देखती है वापस मुड़कर
तो दिखाई देते हैं
दूर दूर छोर पर खड़े
कुछ बारिश के खिलौने
और धूप की नर्मी में भीगे पुराने रिश्ते
और कुछ
वक्त की धुँध से मिटते
पाँओं के निशान!!
१७. डॉ शैलजा सक्सेना
ऐसी चली हवा कि मेरी कविता कल्पना सूख गई अचानक...
मेरे गीत अचकचा कर
भाग जाना चाहते हॆ दीवारो के पीछे
देख नही पाते हेटी मे मरते आदमी
नाइजीरिया - युगान्डा मे उठती राइफले
इथियोपिया की सूखे से दरकती धरती
चीन के बन्द तहखानो मे पसीना बहाते
बच्चे रोने लगते हॆ मेरे कलम उठाते ही
१७.श्री संदीप त्यागी जी
पड़ा कर्ण कुहारों में क्रन्दन करुण स्वर
भारत माता का, तो हो उठा वो करुण था.
हुआ नष्ट परतन्त्रता का तमोतम तभी
तमतमा उठा तीव्रतेज से तरुण था.
१८ श्री गोपाल जी द्वारा गीत का सस्वर पाठ किया:
सृष्टि सिमटती शिखाओं में
भृकुटि से झिकती निगाहों में..
कार्यक्रम का समापन श्री विक्रान्त जी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से किया. इसी मौके पर अन्त में डॉ शैलजा सक्सेना द्वारा मार्च में आयोजित होली के कार्यक्रम की रुपरेखा बताई गई एवं एक कार्यक्रम समिति की घोषणा की गई जिसमें श्रीमती आशा बर्मन, श्रीमती लता पाण्डे, प्रो सरन घई, श्री निर्मल सिद्धु एवं श्री रत्नाकर नराले जी होंगे. साथ ही फरवरी में श्रीमती मीना चौपड़ा की पुस्तक विमोचन कार्यक्रम की जानकारी दी गई.