Tuesday, December 7, 2010
हिन्दी राइटर्स गिल्ड का मासिक कार्यक्रम "आइए हिन्दी साहित्य की बात करें"
अगले वर्ष के कार्यक्रमों की संभावित रूप रेखा के बारे में बातचीत हुई। वर्ष के पहले तीन कार्यक्रमों को आयोजित करने का दायित्व तीन सदस्यों को दे दिया गया है जो इन कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने के लिए अपने साथियों का चयन करेंगे। इन कार्यक्रमों के संचालक सदस्यों को जैसी भी सहायता की आवश्यकता होगी वह सभी सदस्य देंगे। जनवरी का कार्यक्रम लोहड़ी, मकर संक्रांति और नव वर्ष पर आधारित होगा। फरवरी का कार्यक्रम वसन्त पंचमी के उत्सव के उपलक्ष्य में होगा और मार्च का होली त्योहार तो हर वर्ष हिन्दी राइटर्स गिल्ड मनाती ही रही है। जैसे जैसे यह कार्यक्रम विकसित होंगे, सभी साहित्य प्रेमियों को सूचित कर दिया जाएगा।
कार्यक्रम के दूसरे भाग में कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसका संचालन इस बार श्रीमती लता पाण्डे ने किया। इस बार निर्णय लिया गया था और इसे परम्परा की तरह अपना भी लिया जाएगा कि कवि गोष्ठियों में सभी रचनाओं की सकारात्मक समीक्षा तुरन्त रचना के बाद की जाए। सभी कवियों व कवयित्रियों ने इसे सहर्ष स्वीकार किया और इसका स्वागत किया।
सबसे पहली कवयित्री श्रीमती भुवनेश्वरी पांडे थीं। उनकी रचना "आज के अमानुष" आधुनिक जीवन शैली और उसकी प्रतिक्रिया से विकसित होते नए व्यक्तित्व पर पैनी टिप्पणी थी। अगली कविता श्रीमती कृष्णा वर्मा की "चिंता" थी। भाषा सरल थी और भावाभिव्यक्ति हास्य-व्यंग्य को छूती हुई थी। श्रोताओं ने विषय की गंभीरता को भी समझा और कविता बहुत सराही गई। श्री सरन घई अगले कवि थे, उन्होंने अपनी एक पुरानी कविता जो हास्य रस की थी – परदेसवासी पिया को पाती सुनाई। श्रीमती सविता अग्रवाल की कविता सौंदर्य रस की – "कौन हो तुम" थी। प्रेमिका का प्रश्न मन को छूने वाला और कोमल भावों से ओत प्रोत था परन्तु जीवन दर्शन की गम्भीरता भावों में छाई रही। डॉ. शैलजा सक्सेना की कविता "भूमिका" दैनिक जीवन के संघर्ष की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए विभिन्न भूमिकाओं को निभाने की बात कर रही थी। शैलजा जी की कविताएँ सदा ही मन को झकझोरते हुए सोचने पर बाध्य करती हैं। श्री प्राण किरतानी की कविता "परिंदे की कहानी" मानवीय जीवन संवेदनाओं का जीवन्त चित्रण था। अगले कवि श्री विजय विक्रान्त जी ने क्षमा याचना की कि वह आज कविता सुना नहीं पाएँगे क्योंकि वह कोई तैयारी के साथ नहीं आए थे। सुमन कुमार घई की कविता "दरार" भी मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति थी और छोटी होते हुए भी प्रभावशाली थी। आचार्य संदीप त्यागी "दीप" ने अपनी कविता सुनाने से पहले अपने काव्य गुरु डॉ. सत्यव्रत शर्मा ’अजेय’ की रचना रावण –प्रतिनारायण का एक अंश सुनाया। जिसे सुनने के बाद रावण के पात्र की जो व्याख्या कविता में की गई थी, उससे उठे प्रश्नों से एक चर्चा आरम्भ हो गई। कविता में रावण के व्यक्तित्व के उस पक्ष को स्पष्ट किया गया है जिससे जन साधारण परिचित नहीं हैं। पंद्रह-बीस मिनट तक चर्चा के चलने के बाद संदीप जी से निवेदन किया गया कि आने वाले कार्यक्रमों में एक बार वह इसी विषय पर विस्तार से अपना एक शोध पत्र पढ़ें। संदीप जी की कविता "आएगी वह ज़रूर आएगी" जीवन के विषय पर ही थी। डॉ. रत्नाकर नराले जो आज आमन्त्रित अतिथि कवि थे ने राग भैरवी में एक भजन सुनाया। भजन में भगवान से प्रश्न किया गया था - प्रभु बतायो दुखी दुनिया का खेला क्यों रचाया। अंत में लता पाण्डे जी की कविता बिहार की राजनीति में आते आशावादी परिवर्तन पर आधारित थी, कविता का शीर्षक था "भोर में"। लता जी की कविता भी हमेशा गागर में सागर के भाव भर कर लाती है और यह कविता भी अलग नहीं थी।
कुछ साहित्य प्रेमी भी वहाँ उपस्थित थे। जैसे कि श्री अटल पाण्डे, श्री सुरेश पाण्डे और उनकी धर्म पत्नी, श्रीमती नरगिस फैज़ल। श्री संजीव अग्रवाल ने एक काव्यमय चुटकला सुनाकर वातावरण को हास्यमय कर दिया।
कार्यक्रम में वास्तविक कवि गोष्ठी का मैत्रीपूर्ण वातावरण और अनौपचारिकता छायी रही। सर्दी होने के कारण चाय के प्याले खाली होते रहे। आज की कवि गोष्ठी का अल्पाहार डॉ. शैलजा सक्सेना के सौजन्य से था, जिसका आनन्द सभी ने भरपूर उठाया।
हिन्दी राइटर्स गिल्ड कैनेडा की अग्रणी साहित्यिक संस्था है जिसका उद्देश्य आप्रवासी प्ररिप्रेक्ष्य में स्थानीय साहित्य लेखन को बढ़ावा देना है। समय समय पर सेमिनार, साहित्य लेखन कार्याशालाएँ, विद्वानों के भाषण और उच्च स्तरीय सम्मेलन भी हिन्दी राइटर्स गिल्ड द्वारा आयोजित किए जाते हैं। अक्तूबर के माह में हिन्दी राइटर्स गिल्ड द्वारा आयोजित वार्षिक सम्मेलन "दैनिक जीवन में साहित्य" बहुत सफल रहा। हिन्दी राइटर्स गिल्ड का मासिक कार्यक्रम "आइए, हिन्दी साहित्य की बात करें" ब्रैम्पटन लाइब्रेरी के साथा साझेदारी में आयोजित किया जाता है और यह कार्यक्रम सार्वजनिक है यानि सभी इसमें आमन्त्रित हैं। अधिक जानकारी के लिए फोन करें : सुमन कुमार घई 416 286 3249 या 416 917 7045 या ई-मेल करें : hindiwg@gmail.com
Saturday, October 30, 2010
'दैनिक जीवन में साहित्य' - हिन्दी राइटर्स गिल्ड का दूसरा वार्षिक महोत्सव - डॉ. रेणुका शर्मा

मिसिसागा की मेयर आदरणीया हेज़ल मैक्कैलियन कार्यक्रम आरम्भ होने से पहले ही हिन्दी राइटर्स गिल्ड को प्रोत्साहित करने के लिए आईं। कार्यक्रम में सांसद माननीय श्री नवदीप सिंह बैंस ने अपनी उपस्थिति से सभा का मान बढ़ाया उन्होंने सबको हिन्दी भाषा को लोकप्रिय बनाने और बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया और इस दिशा में 'हिन्दी राइटर्स गिल्ड' की प्रगति की सराहना की। साथ ही उन्होंने अपने कर कमलों से श्री प्राण किरतानी जी के सुगम संगीत की सी. डी. "भोर" का भी लोकार्पण किया।

सांस्कृतिक संध्या की सफलता की चरम परिणति धर्मवीर भारती के प्रसिद्ध काव्य नाटक 'अंधा युग' के सफल मंचन से हुई। भारतीजी का 'अंधा युग' महाभारत के युद्ध के अठारहवें या अंतिम दिवस की कथा है जब पूरा नगर महायुद्ध की त्रासदी से अभिशप्त हो जल रहा है गिद्ध नर कंकालों पर ऐसे मंडरा रहे हैं मानो अंधे युग की परछाई धरती पर छा रही हो। संजय से सब हाल सुनकर कौरव पक्ष अपने संबधियों की मृत्यु से तप्त और दुखी हैं। यहां तक कि माता गांधारी ने भी बदले की आग में जल रहे अश्वत्थामा द्वारा ब्रह्मास्त्र चलाने पर उसे नहीं कोसा अपितु इस युद्ध के लिए कृष्ण को ही दोषी ठहराया और पुत्र वियोग में त्रस्त हो कृष्ण को शाप दे दिया। युद्ध में पांडवों की जीत के रूप में सच्चाई की जीत को प्रतिध्वनित किया है। कृष्ण के अंत से द्वापर युग के अंत और अंधे युग या आधुनिक युग का प्रारंभ होता है। कृष्ण इस नाटक के केन्द्र हैं जो सार रूप में बताते हैं कि बुरे से बुरे वक्त में भी शुद्धता, नीति और सच्चाई का रास्ता मनुष्य के पास है, जो हमें चेताते हैं तथा सर्वनाश से पहले सच और न्याय पर चलने के कई मौके देते हैं। इस दृष्टि से 'अंधा युग' आधुनिक युग का प्रमुख शक्तिशाली नाटक है जो हमें राजनीति में हिंसा, द्वेष, स्वार्थ और पद लिप्सा की लड़ाई के पर्याय रूप ढूंढने और सर्वनाश से बचने के उपाय समझाता है।

सभी पात्रों ने अपनी अभिनय प्रतिभा का अच्छा परिचय दिया या यूं कहें कि भारतीजी के 'अंधा युग' नाटक के साथ न्याय किया है क्योंकि इतनी बड़ी व गंभीर रचना के अभिनय का मंचन करना महत्वपूर्ण बात है। संवाद ओजपूर्ण एवं स्पष्ट थे, वेशभूषा एवं वातावरण नाटक के अनुरूप थे। मुख्य बात है कि अपने व्यावसायिक व अन्य ज़रूरी कार्यों के बीच अपनी रुचि को परिष्कृत करने और साधन की सीमा होते हुए भी लोगों तक ज्ञान नीति के तथ्य सुगमता से पहुँचाने के लिए समय निकाल पाना सराहनीय है। अंत में सबने स्वादिष्ट जलपान का मिलजुलकर आनंद लिया और इस सांस्कृतिक संध्या का समापन हुआ।
'अंधा युग' के गंभीर विषय को सरलता से लोगों तक पहुँचाने के लिए 'हिन्दी राइटर्स गिल्ड' के संस्थापक श्री विजय विक्रांत, श्री सुमन घई तथा डॉ. शैलजा सक्सेना को बधाई। 'हिन्दी राइटर्स गिल्ड' का मुख्य

"भोर - द डॉन विदइन" का लोकार्पण

प्राण जी ने लोकार्पण के बाद इस परियोजना में सभी सहायकों को मंच पर बुला कर दर्शकों से परिचित करवाया। संगीतकार और गीतकार प्राण किरतानी ने कहा, "भोर - द डॉन विदइन" प्रतिभावान स्थानीय कलाकारों का सामूहिक प्रयास है। इस सी.डी. में सार्थक कविता और दिल को छू जाने वाली धुनों का संगम है।

हिन्दी राइटर्स गिल्ड के प्रवक्ता ने बताया कि हालांकि यह सी.डी. बाज़ार में एच.एम.वी. और चैप्टर्ज़ के स्टोरों पर उपलब्ध है, परन्तु फिर भी संस्था इसके प्रचार प्रसार के लिए जो भी कर सकेगी, करेगी। स्थानीय लेखन को आगे बढ़ाना हमारा मुख्य उद्देश्य है और प्राण जी की इस कृति में साहित्य और संगीत का अनूठा संगम है।
Monday, October 4, 2010
दीपावली कार्यक्रम की सूचना: विशेष अनुरोध
Sunday, May 16, 2010
कनाडा में लेखकों के बीच कथाकार तेजेन्द्र शर्मा
टोरोंटो। विगत दिनों कथा यूके के महासचिव और विश्वप्रसिद्ध कहानीकार तेजेन्द्र शर्मा हिन्दी राइटर्स गिल्ड के आमंत्रण पर कैनेडा आए। उनके तीन दिन के कैनेडा प्रवास पर जिन कार्यक्रमों का आयोजन हुआ, उनसे वृहत टोरोंटो के साहित्य जगत में एक बड़ी चर्चा के साथ नवचेतना का वातावरण विकसित हुआ। हिन्दी राइटर्स गिल्ड के उद्देश्यों में एक उद्देश्य विभिन्न देशों में बिखरे हिन्दी साहित्य जगत में विचार-सेतु का निर्माण करना भी है, यह उसी दिशा में उनका यह एक महत्वपूर्ण प्रवास था। इन दिनों जो कार्यक्रम हुए उनके रिपोतार्ज–
हिन्दी साहित्य सभा ने टोरोंटो में तेजेन्द्र शर्मा का अभिनन्दन किया। चौबीस अप्रैल को हिन्दी साहित्य सभा टोरोंटो ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड के सहयोग से एक काव्य सम्मेलन का आयोजन किया। यह आयोजन ब्रैम्पटन लाइब्रेरी की फ़ोर कॉरनर्ज़ शाखा के सभागार में आयोजित किया गया था। काव्य सम्मेलन में दोनों संस्थाओं के कवियों और कवयित्रियों को आमंत्रित किया गया था। सम्मेलन की संचालिका मानोशी चटर्जी ने तेजेन्द्र शर्मा, उपस्थित कवियों और श्रोताओं का स्वागत किया, हिन्दी साहित्य सभा की परंपरा के अनुसार कार्यक्रम सरस्वती वंदना से आरम्भ हुआ। मानोशी चटर्जी ने तेजेन्द्र शर्मा का विस्तृत परिचय देते हुए उनसे अतिथि अध्यक्ष के रूप में मंच पर बैठने के लिए आमंत्रित किया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता हिन्दी साहित्य सभा के संस्थापक सदस्यों में से एक और कैनेडा के हिन्दी साहित्य क्षेत्र की वरिष्ठ लेखिका दीप्ति अचला कुमार ने की।
हिन्दी साहित्य सभा के अध्यक्ष पाराशर गौड़ और दीप्ति अचला कुमार ने तेजेन्द्र शर्मा का अभिनन्दन प्रशस्ति पत्र और फूलों की भेंट से किया। पाराशर गौड़ ने तेजेन्द्र के स्वागत में दो शब्द कहते हुए उन्हें 'पूर्ण साहित्यकार' की संज्ञा से संबोधित किया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षा दीप्ति अचला कुमार ने कहा कि वह एक अवधि से उनकी कहानियां अंतरजाल और पुस्तकों के माध्यम से पढ़ती रही हैं और आज सामने देख कर उन्हें हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। हिन्दी राइटर्स गिल्ड के सहयोग को रेखांकित करते हुए दीप्ति ने कहा कि उन्हें प्रसन्नता है कि दो संस्थाएं मिलकर यह कार्यक्रम कर रही हैं। इस अवसर पर तेजेन्द्र शर्मा ने कथा यूके की इंग्लैंड के साहित्य जगत में भूमिका की चर्चा करते हुए संस्था से पहले और बाद की अवस्था की तुलना की। भारतेतर लेखकों को 'प्रवासी' लेखक के संबोधन पर भी उन्होंने आपत्ति जताई परन्तु साथ ही उन्होंने विदेशों में रहने वाले लेखकों को प्रोत्साहित किया कि वह 'नॉस्टेलजिया' की दलदल से बाहर आकर स्थानीय सरोकारों से अपने को जोड़ें और स्थानीय परिप्रेक्ष्य में ही साहित्य सृजन करें। उन्होंने कहा कि अंग्रेज़ी भाषा के कैनेडियन लेखक को प्रवासी लेखक या ऑस्ट्रेलिया के लेखक को प्रवासी लेखक इसी कारण से नहीं कहा जाता क्योंकि उनके लेखन में स्थानीय सरोकारों की प्रधानता रहती है। तेजेन्द्र ने अपने काव्य संकलन 'ये घर तुम्हारा है ' की चर्चा करते हुए अपने वक्तव्य पर बल दिया। उन्होंने अपने संबोधन में अपनी काव्य रचनाओं को इस तरह बुना कि पता ही नहीं चला कि किस तरह एक घंटा बीत गया। अभी श्रोताओं का मन नहीं भरा था परन्तु समय की सीमा को देखते हुए तेजेन्द्र ने अपनी व्यंग्य रचना 'मकड़ी बुन रही है जाल ' से समापन किया।
काव्य पाठ करने वाले और कवि थे– सुमन कुमार घई, भगवत शरण श्रीवास्तव, लता पांडे, भुवनेश्वरी पांडे, इंदिरा वर्मा, राज महेश्वरी, सरोजिनी जौहर, देवेन्द्र मिश्रा, सुधा मिश्रा, विजय विक्रान्त, प्रमिला भार्गव, राज शर्मा, प्राण किरतानी, कृष्णा वर्मा, प्रवीण कौर, अवतार गिल, राज कश्यप, राकेश तिवारी, मीना चोपड़ा, मानोशी चटर्जी, गोपाल बघेल, पाराशर गौड़ और दीप्ति अचला कुमार भी। कार्यक्रम का समय दोपहर दो बजे से चार बजे तक तय हुआ था परन्तु चला लगभग पांच बजे तक। समय की कमी थी तो अल्पाहार श्रोताओं को अपनी सीटों पर ही दे दिया गया। स्थानीय कवियों की कविता सुनने के बाद तेजेन्द्र शर्मा ने सुझाव दिया कि कवियों और कवयित्रियों को चाहिए कि वह गोष्ठियों में भारत के प्रतिष्ठित कवियों की रचनाएं भी सुनाएं और बताएं कि उन्होंने वही रचना क्यों चुनी। इस तरह से कविता पर मनन करने से स्थानीय कवियों की रचना स्तर में सुधार अवश्य आएगा। कार्यक्रम का समापन करते हुए दीप्ति अचला कुमार ने तेजेन्द्र शर्मा का पुनः धन्यवाद किया।
मिसिसागा में कथा-वाचन और कथा-लेखन कार्याशाला
टोरोंटो। मिसिसागा सेंट्रल लाइब्रेरी ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड के सहयोग से कथा यूके के महासचिव और कहानीकार तेजेन्द्र शर्मा को कथा-वाचन और कथा-लेखन की कार्यशाला के आयोजित की। यह कार्यक्रम मिसिसागा सेंट्रल लाइब्रेरी के हॉल में हुआ। हिन्दी राइटर्स गिल्ड की निदेशिका डॉ शैलजा सक्सेना ने तेजेन्द्र शर्मा का स्वागत किया और उनका परिचय देते हुए श्रोताओं को उनकी लेखन शैली से भी परिचित करवाया। डॉ शैलजा सक्सेना ने कथा यूके के विदेशों में बसे हिन्दी लेखकों से संपर्क बढ़ाने के कदम की सराहना की और तेजेन्द्र शर्मा को धन्यवाद दिया कि उन्होंने हिन्दी राइटर्स गिल्ड का आमंत्रण स्वीकार किया। हिन्दी राइटर्स गिल्ड समय-समय पर स्थानीय लेखकों के लिए कार्याशालाएं आयोजित करती रहती है परन्तु तेजेन्द्र जी जैसे कहानीकार की उपस्थिति ने इस कार्यशाला का महत्व बढ़ा दिया था।
कहानी पाठ से पहले हिन्दी राइटर्स गिल्ड के संस्थापक निदेशकों डॉ शैलजा सक्सेना, सुमन कुमार घई और विजय विक्रान्त ने तेजेन्द्र को मानद सदस्यता प्रदान करके सम्मानित किया। श्रोता, लेखक तेजेन्द्र शर्मा को सुनने के लिए उत्सुक थे और कार्यक्रम में औपचारिकताओं के लिए कोई समय नहीं रखा गया था ताकि तेजेन्द्र शर्मा के सीमित समय का सभी लाभ उठा सके। तेजेन्द्र ने अपनी कहानी 'कब्र का मुनाफ़ा' वाचन के लिए चुनी। शायद पहली बार श्रोताओं ने भावपूर्ण कथा वाचन सुना। कहानी के पात्र तेजेन्द्र शर्मा का स्वर पाकर सजीव हो गए। देखा गया कि कुछ श्रोता आंखे बंद करके कहानी को अपने मनःस्तल पर सिनेचित्र की तरह देख रहे थे। लेखक कहानी विधा के सजीव प्रस्तुतिकरण में खोए हुए थे। कहानी पाठ के बाद तेजेन्द्र शर्मा ने प्रश्नोत्तर का सत्र आरम्भ किया। मानोशी चटर्जी का पहला प्रश्न था कि लेखक को कितना 'पोलिटिक्ली करेक्ट' यानि राजनैतिक तौर से तटस्थ होना चाहिए? तेजेन्द्र शर्मा ने बताया कि कहानी में लेखक उसके पात्रों में न होकर उसमें सूत्रधार की तरह विवरणात्मक अभिव्यक्ति में होता है। किसी ने प्रश्न किया कि क्या यह कहानी एक संप्रदाय विशेष पर आक्रमण नहीं है? तेजेन्द्र शर्मा ने ध्यान दिलाया कि जिस पात्र के संवादों से यह लगता है उस पात्र के चरित्र की ओर ध्यान दें। वह सिवाय अपने धर्म के बाकी सभी से नफ़रत करता है। कहानी में अन्य धर्मों पर आक्रमण वह पात्र कर रहा है और उस वार्तालाप को संतुलित रखने के लिए कहानी में अन्य पात्र हैं– जैसे उसकी पत्नी। कहानी की बुनावट पर भी प्रश्न पूछे गए। कुछ लेखकों ने अपनी अधूरी कहानियों की समस्या सुलझाने के लिए भी प्रश्न पूछे। तेजेन्द्र शर्मा ने कहा कि लेखक को अपने मन की सच्चाई लिखनी चाहिये मगर एक बात का ध्यान रखना चाहिये कि वह उत्तेजक या भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल न करे।
तेजेन्द्र शर्मा ने लेखकों को आज की कहानी से जुड़ने के लिए कहा। उन्होंने बल दिया कि आज के कहानीकारों को पढ़िए ताकि कैनेडा के लेखकों का साहित्य मुख्य धारा से जुड़ सके। स्थानीय लेखक तेजेन्द्र शर्मा एक-एक बात को मन में उतार रहे थे। कार्यक्रम पौने पांच बजे 'यहां पर' विक्रान्त के धन्यवाद ज्ञापन के बाद समाप्त कर दिया गया क्योंकि लाइब्रेरी के पांच बजे बंद होने की घोषणा बार-बार इंटरकॉम पर हो रही थी परन्तु अब कार्यक्रम विजय विक्रान्त के घर पर स्थानांतरित हो गया जहां अल्पाहार और बाद में रात के खाने का प्रबंध किया गया था। विक्रान्त के निवास पर लेखक अनौपचारिक ढंग से तेजेन्द्र शर्मा से मिले। विविध विषयों पर बातचीत हुई। अवसर पा कर डॉ शैलजा सक्सेना ने तेजेन्द्र शर्मा का साक्षात्कार भी किया जो कि हिन्दी टाइम्स के आने वाले अंकों में प्रकाशित होगा। तेजेन्द्र शर्मा के अनुरोध पर जसबीर कालरवि ने अपनी कुछ ग़ज़लें सुनाईं।
तेजेन्द्र, ऑमनी २ और 'अपना रेडियो बॉलीवुड बीट्स' पर
टोरोंटो। कैनेडा के मुख्य बहुभाषी टीवी नेटवर्क ऑमनी 2 ने तेजेन्द्र शर्मा को अपने स्टूडियो में साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया। वहां वे सुमन कुमार घई के साथ गए। 'बधाई हो' के प्रोड्यूसर नलिन बाखले ने तेजेन्द्र शर्मा का स्वागत किया और साक्षात्कार भी स्वयं ही किया। आमतौर पर ऐसे कार्यक्रमों की रिकॉर्डिंग केवल साढ़े आठ मिनट की होती है परंतु तेजेन्द्र शर्मा जैसे लेखक को सामने पाकर नलिन बाखले स्वयं को नहीं रोक पाए। नलिन ने, जो स्वयं सृजनात्मक लेखन के प्रशिक्षित हैं, साहित्य लेखन के विषय में बहुत गंभीर प्रश्न पूछे। हिन्दी लेखन और अंग्रेज़ी लेखन की तुलना, स्थानीय सरोकारों पर हिन्दी लेखन की क्षमता आदि पर जमकर चर्चा हुई।
साक्षात्कार लगभग पैंतालिस मिनट चला। हिन्दी राइटर्स गिल्ड और कथा यूके सहयोग के बारे जब सुमन कुमार घई से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अंतरजाल ने विश्व को वास्तव में विश्वग्राम बना दिया है और तेजेन्द्र शर्माजी जैसा लेखक जिसने इस माध्यम को पूर्णतः अपना लिया है, दो महाद्वीपों (उत्तरी अमेरिका और यूरोप) में साहित्य सेतु के निर्माण के लिए जुटा है। सुमन घई ने कथा यूके के इस कदम के लिए धन्यवाद दिया।
ऑमनी 2 के बाद तेजेन्द्र शर्मा और सुमन घई सीधे रेडियो सीएमआर 101.3 एफएम पहुंचे जहां पर तेजेन्द्र शर्मा का स्वागत हिन्दी टाइम्स के प्रकाशक राकेश तिवारी और उपाध्यक्ष गुरमीत सैनी ने किया। 'अपना रेडियो बॉलीवुड बीट्स' भी राकेश तिवारी का ही कार्यक्रम है। रेडियो होस्टस देवसागर और स्वाति ने तेजेन्द्र शर्मा के पसंद के साहित्यिक गीत श्रोताओं के लिए प्रसारित किए। तेजेन्द्र शर्मा ने उन गीतों के साहित्यिक पक्ष की चर्चा की। राकेश तिवारी ने तेजेन्द्र शर्मा से कुछ प्रश्न पूछे और श्रोताओं को फोन करने के लिए आमंत्रित किया और तेजेन्द्र शर्मा ने फोन करने वालों से बातचीत की।
-सुमन घई