Saturday, February 19, 2011

नववर्ष, मकर संक्रांति और लोहड़ी की बधाईयों में बही साहित्य की धारा

नववर्ष, मकर संक्रांति और लोहड़ी की बधाईयों में बही साहित्य की धारा
हिन्दी राइटर्स गिल्ड की ब्रैम्पटन लाइब्रेरी में मासिक गोष्ठी

जनवरी ०९, २०११ - ब्रैम्पटन लाईब्रेरी की १५० सेंटरल पार्क ड्राइव शाखा में हिन्दी राइटर्स गिल्ड और लाइब्रेरी के सहयोग से हर माह के दूसरे रविवार को होने वाले कार्यक्रम "आईये हिन्दी साहित्य की बात करें" के अंतर्गत एक कवि गोष्ठी का संयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम की संयोजिका श्रीमती कृष्णा वर्मा थीं और उन्होंने ही इसकी अध्यक्षता भी की। दोपहर २ बजे कार्यक्रम शुरू हुआ जो अवधि के अंतिम पल यानि ठीक पाँच बजे शाम को समाप्त हुआ। इस कार्यक्रम में २१ लेखकों ने अपनी रचनाएँ सुनाईं। विशेष बात यह रही कि इस कार्यक्रम में कई नए साहित्य प्रेमी उपस्थित हुए, जो कि हिन्दी टाइम्स में प्रकाशित साहित्यिक सूचना को पढ़कर आए थे। इन कार्यक्रमों में सभी का स्वागत होता है, कोई आमन्त्रण का बंधन नहीं है।
सर्दी की इस दोपहर को उपस्थित जनों का स्वागत गरमा-गरम चाय, समोसों, पकोड़ों के साथ किया गया। लोहड़ी के उपलक्ष्य में रेवड़ी, तिल के लड्डू और पॉपकॉर्न भी अतिथियों के लिए परोसे गए थे।
चाय की गरमी पाने के बाद सभी ने अपना स्थान ग्रहण किया और कार्यक्रम का आरंभ श्रीमती कृष्णा वर्मा ने सरस्वती गायन और दीप प्रज्ज्वलन से किया।
डॉ. शैलजा सक्सेना ने हिन्दी राइटर्स गिल्ड के भविष्य के कार्यक्रमों की चर्चा करते हुए बताया कि अगला कार्यक्रम १३ फरवरी को वसन्त का महोत्सव मनाने के लिए तय हुआ है। इस कार्यक्रम को करने के लिए हिन्दू सभा मंदिर, गौर रोड, ब्रैम्पटन ने आमंत्रित किया है। यह महा कवि समेल्लन हिन्दू सभा मंदिर के सौजन्य से ही प्रस्तुत किया जाएगा। इसका समय दोपहर तीन से छ्ह बजे तक है। इसकी विस्तृत सूचना इसी समाचार पत्र में आपके लिए उपलब्ध है। डॉ. शैलजा सक्सेना ने यह भी सूचना दी कि हिन्दी राइटर्स गिल्ड इस वर्ष अपने सदस्यों की रचनाओं के दो संकलनों की पुस्तकें प्रकाशित करने की योजना बना रहा है। एक काव्य संकलन होगा और दूसरे में कहानियाँ और आलेख इत्यादि होंगे।
इन आवश्यक सूचनाओं के बाद साहित्यिक कार्यक्रम आरम्भ हुआ। सबसे पहली कवयित्री श्रीमती सुखवर्ष तन्हा कंवर थीं जो कि पहली बार संस्था के कार्यक्रम में आईं थीं। कुछ शेरों के बाद उनकी मुख्य रचना "अकेली हूँ" में नारी के दैनिक संघर्ष की छवि थी। श्री वेद प्रकाश कंवर जो कि हिन्दी और अंग्रेज़ी के की उपन्यासों के लेखक हैं वह भी पहली बार गोष्ठी में आए थे। उन्होंने अभी अप्रकाशित अपनी एक लघुकथा सुनाई जिसका शीर्षक था चिट्ठी की आस। अभी भारत से लौटे श्री पाराशर गौड़ ने कविता के माध्यम से परमात्मा से नवर्वर्ष के लिए आशीषों की कामना की। श्रीमती भुवनेश्वरी पांडे ने नववर्ष में "नव जीवन को प्रणाम" किया और विक्रान्त जी ने एक पुरानी कथा "अपने अपने कर्म" को काव्य रूप में सुनाया। जसबीर कालरवि जी ने दो ग़ज़लें सुनाईं जो कि जीवन दर्शन पर आधारित थीं। सुमन कुमार घई "स्मृतियों के अलाव" में लोहड़ी की याद यहाँ के परिप्रेक्ष्य में थी। श्री सरन घई ने अपनी हास्य कविता में दाम्पत्य प्रेम की तुलना नींबू के आचार से की थी, जिससे जीने का स्वाद दोगुना हो जाता है। श्रीमती राज शर्मा की कविता में भारत में नित हो रहे घोटालों पर आक्षेप था। गोष्ठी में पहली बार आईं साहित्य प्रेमिका श्रीमती रजनी सक्सेना ने "मन तोरा दर्पण कहलाए" का सुमधुर गायन किया। नवांगतुक श्री शशिकांत जोगलेकर, जो साहित्य प्रेमी और मंच के अभिनेता हैं, ने एक कहानी का पाठ अपनी स्मृति से किया जो कि उन्होंने कभी सरिता में पढ़ी थी। कहानी पाठ बहुत कलात्मक था। श्री प्राण किरतानी की कविता में "कैसी है यह दुनिया" का प्रश्न था और उनके तुरंत बाद श्रीमती सविता अग्रवाल ने अपनी कविता "स्वीकार" में जीवन के हर रंग को स्वीकार किया। श्री विद्याभूषण धर ने दो हृदय विदारक कविताएँ सुनाईं जो कि कश्मीर विस्थापन से संबंधित थीं। यहाँ उल्लेखनीय हैं श्री विद्याभूषण धर और उनके परिवार को हिंसा के वातावरण में कश्मीर में अपना घर छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा था। श्रीमती प्रमिला भार्गव ने अपनी कविता में पुरानी बातें छोड़ नई बातें कीं और एक बहुत गंभीर कविता "चेतना" सुनाई। डॉ. रत्नाकर नराले ने अपनी संगीत की पुस्तक में से राग पीलू में बंधा एक भजन सुनाया। आचार्य संदीप कुमार त्यागी से उनकी एक ग़ज़ल "जिस्म तो बस लिबास है यारों" सुनाने का निवेदन किया गया। पिछली गोष्ठी में उन्होंने अपने काव्य गुरु डॉ. सत्यव्रत 'अजेय' के खण्डकाव्य रावण प्रति राम में से कुछ अंश सुनाए थे। इस बार भी उन्हें उसे आगे बढ़ाने के लिए कहा गया। यह खण्डकाव्य राम रावण युद्ध को एक नए दृष्टिकोण से देखता है और सोचने के लिए विवश करता है। उनके बाद डॉ. शैलजा सक्सेना बारिश का दृश्य अपनी कविता में भर दिया। अपनी कविता पाठ के बाद उन्होंने श्रीमती कृष्णा वर्मा जी को काव्य पाठ के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने दो रचनाएँ सुनाईं पहली "झुकते तो" मानवीय अहंकार पर आक्षेप था और दूसरी रचना आप्रवासी अनुभव की हास्य रचना "चाव विदेश का" थी।
कार्यक्रम का अंत करते हुए सुमन कुमार घई ने श्रीमती कृष्णा वर्मा जी को सफल कार्यक्रम आयोजन के लिए धन्यवाद देते हुए हिन्दी राइटर्स गिल्ड की ओर से एक पुस्तक भेंट की। श्रीमती सुखवर्ष 'तन्हा' कंवर ने भी अपनी एक कहानियों की पुस्तक हिन्दी राइटर्स गिल्ड को भेंट की जिसके लिए संस्था आभारी है।
बाहर की सर्दी का मुकाबला करने के लिए एक बार चाय का दौर फिर चला, श्रीमती कृष्णा वर्मा जी की अल्पाहार व्यवस्था की सराहना हुई और श्रीमती भुवनेश्वरी पांडे जी के बनाए पकौड़ों का स्वाद लेते हुए सभी विदा हुए।