Friday, May 29, 2009

हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने ओकविल में “होली मिलन उत्सव” मनाया


हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने ओकविल में “होली मिलन उत्सव” मनायाप्रस्तुति : सुमन कुमार घई
अतिथी स्वागत करतीं हुई डॉ. शैलजा सक्सेना
मार्च 14, 2009 - हिन्दी राइटर्स गिल्ड का “होली मिलन उत्सव” वैष्णोदेवी मन्दिर, ओकविल में धूमधाम के साथ मनाया गया। इस दिन हिन्दी राइटर्स गिल्ड के सदस्यों और स्वजनों का लगभग 2:30 (बाद दोपहर) द्वार पर गुलाल और इत्र से स्वागत किया गया। मित्रों ने परिपाटी को निभाते हुए एक दूसरे के गले लग बधाई दी।
विजय विक्रान्त ने 3:00 बजे सभी उपस्थितजनो का मंच से स्वागत करते हुए कार्यक्रम आरम्भ किया। सर्वप्रथम कुछ बच्चों ने अपनी संगीत और नृत्य की प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उसके बाद एक कवि सम्मेलन में लगभग 20 कवियों व कवयित्रियों ने काव्य पाठ किया। कविताओं का विषय अधिकतर होली के रंग और मानवीय सद्‌भावना था। कार्यक्रम का यह भाग लगभग डेढ़ घंटा चला।
अगले चरण में शुभा वेंकट और चारू ने शास्त्रीय शैली में लोकगीतों का गायन किया। भुवनेश्वरी पाण्डे ने कुछ लोकप्रिय गीत गाए। वातावरण इतना संगीतमय हुआ कि मन्दिर के सम्मानीय पुजारी जी ने भी एक सुन्दर भजन का गायन किया जिसमें श्रोताओं ने भी सहगान से भाग लिया। कार्यक्रम का अन्त प्रीतिभोज से हुआ।
प्रीतिभोज क आनन्द लेते हुए मित्रगण
हिन्दी राइटर्स गिल्ड एक नॉन-प्रोफ़िट, चैरिटबल (ओण्टेरियो) संस्था है जिसका उद्देश्य कनेडियन संदर्भ में दक्षिण एशियाई साहित्य को प्रोत्साहित करना है।

हिन्दी राइटर्स गिल्ड की कहानी कार्यशाला - 2

२१ फरवरी, २००९ – कार्यक्रम का अगला चरण कहानी कार्यशाला का था। भगवत शरण जी ने अपनी कविता “तुम्हारी छवि” का पाठ किया। पाराशर गौड़ ने अपनी कहानी अधूरे सपने की चर्चा करते हुए कहा कि कहानी आकाश से नहीं उतरती अपितु अपने आस-पास घट रहा है वही कहानी है। भुवनेश्वरी पांडे ने अपने बचपन में पढ़ी हुई कहानियों को याद किया। राकेश तिवारी जो कि हिन्दी टाइम्स साप्ताहिक समाचार पत्र के प्रकाशक व संपादक हैं ने कहा कहानी वस्तुतः स्थिति का बयान है। उन्होंने हाल में ही हुई घटना जिसमें मिसीसागा में तिरंगे का अपमान हुआ उसकी चर्चा करते हुए कहा कि कहानी तो उस दिन भी घटी है। आचार्य संदीप त्यागी ने कहा साहित्य शास्त्रियों का कहना है कि कविता की कसौटी गद्य होता है। कहानी में कहानी के उद्देश्य की पूर्ति होना आवश्यक है। उन्होंने प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद की कहानियों को अपनी प्रिय कहानियाँ बताया। उन्होंने उदाहरण स्वरूप अपनी कविता “जवां भिखारिन” का पाठ करते हुए कविता के मूल में कहानी का होना प्रमाणित किया। डॉ. शैलजा सक्सेना ने कहानी की चर्चा करते हुए निर्मल सिद्धू की कहानी “अस्थि कलश” की विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने हिन्दी राइटर्स गिल्ड के ई-सदस्य अमरेन्द्र कुमार के ब्लॉग पर कहानी पर लिखे हुए आलेख की भी चर्चा की और उपस्थित सदस्यों को प्रोत्साहित किया कि वह अमरेन्द्र के ब्लॉग पर जाकर अमरेन्द्र का कहानी के विषय में लिखा आलेख अवश्य पढ़ें। राज महेश्वरी ने कहा “कहानी वही अच्छी होती है जो अच्छी लगती है।“ उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक मानव कहानी लिख सकता है और उन्होंने हँसते हुए बताया कि उनकी नातिन की कहानी सारा-सारा दिन ख़त्म ही नहीं होती। आशा बर्मन कहा कि कहानियों से हमारा परिचय तो बचपन से ही आरम्भ हो जाता है। उन्होंने प्रेमचंद की कहानियों में पात्र के अनुसार भाषा की विविधता की प्रशंसा की। उन्होंने आगे बचपन का संस्मरण सुनाते हुए बताया कि कैसे उनके दादा जी को भी प्रेमचंद की कहानियाँ सुनना बहुत अच्छा लगता है। कहानी लिखने के विषय में बोलते हुए उन्होंने बताया कि बचपन में जब घर-मोहल्ले के बच्चे जब उनके पिता जी को घेर कर कहानी सुनाने का आग्रह करते थे तो पिता जी कहानी शुरू तो करते थे पर उस कहानी के हर चरण को बच्चों द्वारा ही आगे बढ़वाते हुए एक सार्थक अंत करते थे। उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपने जीवन के अनुभवों के विषय में ही लिखना चाहिए। निर्मल सिद्धू ने अपनी कहानी की समीक्षा के लिए डॉ. शैलजा सक्सेना का धन्यवाद किया और उन्होंने कहा कि कहानी केवल किसी समस्या की चर्चा ही नहीं करे बल्कि उसका समाधान भी सुझाए। उन्होंने अपने विद्यार्थी काल में पढ़े चंद्रधर शर्मा गुलेरी को अपना प्रिय लेखक बताया। सरन घई ने अपनी नई पत्रिका के प्रकाशन की घोषणा की और एक लघुकथा सुनाते हुए कहा कि इस कहानी में पात्रों का परिचय नहीं देने की आवश्यकता नहीं बल्कि हर पात्र का परिचय स्वतः होता चला जाता ही। कार्यशाला का अन्त सुमन कुमार घई ने किया।